What is stoploss order kya hai Stoploss kaise lagaye?
दोस्तो, आपका इस शेयर मार्केट से रिलेटेड ब्लॉग में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में हम स्टॉपलॉस ऑर्डर किसे कहते है? स्टॉपलॉस ऑर्डर कैसे लगाया जाता है? इसके हानि लाभ क्या है? इसे लगाना जरूरी क्यों है stop loss कहा लगाए? स्टॉप लॉस कितनी तरह के होते है? और इस विषय से जुड़े सारी बातों पर चर्चा करेंगे। कुलमिलाकर ये आर्टिकल बहुत knowledgeful होनेवाली है। इस पोस्ट को पूरा पढ़कर इसे ट्रेडिंग इंप्लीमेंट करके अपनी ट्रेडिंग को सुधार सकते है।
अगर आप ट्रेडर या इन्वेस्टर है, चाहे आप शेयर मार्केट में नए आए हो या कुछ महीनो से आए हो, ये पोस्ट आपकी जरूर हेल्प करेगी। इसलिए इस पोस्ट को आप शुरू से अंत तक जरूर पढ़े, इससे आप इस विषय से जुड़ी सारी बातों को deeply समझ पाएंगे और ये जानकारी आपको ट्रेडिंग में बहुत हेल्प करेगी। इस पोस्ट में ऐसे पॉइंट्स कवर किए जो शायद आपने कही सुने भी ना हो।
मुझे पूरी उम्मीद है, ये पोस्ट पढ़ने के बाद आप shore हो जायेंगे, आपको एक idea लग जायेगा की आपको exactly करना क्या हैं? और स्टॉपलॉस आपके लिए इतना जरूरी क्यों है? ये आप जान पाएंगे। इस पोस्ट में मैने यूनीक पॉइंट्स को इस तरह से explain किया है, जिससे आपकी सोच, समझ, बदल जायेगी। इससे कही न कही आपका पोर्टफोलियो ग्रीन में नजर आएगा। अगर किसी बात को समझ न पाए तो पोस्ट को दुबारा से पढ़ने की चेष्टा करे ताकि कोई भी dout ना रहे। तो चलिए पोस्ट में आगे बढ़ते है। सबसे पहले हम stoploss के बारे में जानेंगे।
स्टॉपलॉस क्या होता है? What is stoploss?
स्टॉपलॉस ये शब्द stop और loss इन दो शब्दो से बना हुआ है, stop का मतलब है रोकना और और loss का मतलब है नुकसान। ट्रेडिंग या इन्वेस्टिंग में होनेवाले नुकसान को रोकने के लिए जिस ऑर्डर को लगाया जाता है उसे stoploss order कहते है। किसी भी सक्सेसफुल ट्रेडर के लिए stoploss order बहुत इंपोर्टेंट होता है। इसकी अहमियत सफल ट्रेडर अच्छी जानता है, इसलिए वह स्टॉपलॉस लगाना नही भूलता। ये उसके होनेवाले नुकसान को बचाता है। ये एक तरह से आपके पैसे को protect करता है। यूं देखा जाए तो f&o में आपका पूरा पैसा रिस्क पर रहता है। लेकिन उस रिस्क को लिमिटेड करने का काम स्टॉपलॉस करता है। इसे लगाए या ना लगाए, ये पूरी तरह ट्रेडर पर निर्भर करता है। देखा गया है की बहुत कम लोग स्टॉपलॉस का उपयोग करते है। जिन लोगों इसका उपयोग नही किया है, उन को एक दिन बहुत बड़ा लॉस उठाना पड़ जाता है। लेकिन फिर भी वह अपनी गलती को नहीं मानते है। ये गलती रिटेल ट्रेडर्स ज्यादा दोहराते है। इसलिए अपनी ट्रेडिंग को सुधारना है तो stop loss को समझो, और इसपर अमल करो।
अगर कोई भी ट्रेडिंग करता है तो इसमें प्रॉफिट भी हो सकता है इसी प्रकार लॉस भी हो सकता है, ये कॉमन बात है। प्रॉफिट भी अनलिमिटेड हो सकता है, तो लॉस भी अनलिमिटेड हो सकता है। ट्रेडर के लिए इसमें प्रॉफिट कमाने से ज्यादा पैसे को बचाना ज्यादा जरूरी हो जाता है।
मान लेते है किसी A नाम के शेयर को आपने 100 में खरीदा, क्यू की आपको लगा की इसकी कीमत बढ़ने वाली है। उसकी कीमत कुछ पांच सात पॉइंट्स बढ़ी लेकिन किसी वजह से इसमें अचानक से 27 पॉइंट्स की गिरावट आई। लेकिन आपने उस शेयर को खरीदने के बाद 94 का लिमिट लगाकर stop loss order लगाया था, इसलिए इस केस में आपको 20 प्वाइंट की जगह 6 पॉइंट्स का ही नुकसान हुआ। बड़ा लॉस करने से आप बच गए। लेकिन जिन लोगो ने इस पोजीशन पर स्टॉप लॉस नही लगाया था उनका बड़ा नुकसान हो गया। इस उदाहरण से पता चलता है कि stop loss को लगाना क्यू जरूरी है? लेकिन देखा गया है की ज्यादातर लोग स्टॉपलॉस लगाते है नही। इसकी कई वजहें हो सकती है, जो इस तरह है...
- स्टॉपलॉस हिट हो जाने का डर।
- स्टॉप लॉस की समझ न होना।
- गलत जगह पर स्टॉप लॉस लगाने के कारण losses होना।
- स्टॉपलॉस लगाने की झंझट मे पड़ना।
- सही जगह पर स्टॉपलॉस लगाने की जानकारी ट्रेडर को न होना।
इन सारी उलझनों के जवाब आपको इसी पोस्ट में मिलेंगे, सो आप इस पोस्ट में बने रहे।
जब हम ट्रेड करते है तो हर ब्रोकर ये सुविधा ट्रेडर्स को प्रदान करते है, जिससे ट्रेडर्स को ज्यादा लॉस ना हो। इसे हम एक tool की तरह भी समझ सकते है, जो हमारे ज्यादा होनेवाले लॉस से बचाता है। इसलिए ट्रेडिंग में सफल होना है तो इस टूल का बखूबी से इस्तेमाल करे और इसमें माहिर हो जाइए। स्टॉपलॉस न लगाते हुए ट्रेड करने पर ट्रेडर एक दिन वह बहुत बड़ा लॉस उठा लेता है। इस बात को अकलमंद ट्रेडर अच्छे से समझता है इसलिए वह बिना stop loss लगाए कभी ट्रेड नही करता। लेकिन ज्यादातर नए ट्रेडर्स यह गलती करते है जिसके कारण वह स्टॉपलॉस नही लगा पाते, और इसे एक झंझट भरा काम समझकर इससे दूरी बनाके रखते है।
एक कमोडिटी ट्रेडर ने कहा है कि अगर आपने छोटा लॉस को लेना नही सीखा तो एक दिन आपको बड़ा लॉस लेना पड़ेगा। वही पर दुनिया के जाने माने इन्वेस्टर वॉरेन बफेट ने शेयर मार्केट में पैसे लगाने वालों के लिए दो नियम बताए है, जिसमे पहला है अपने पैसों को loose ना होने दो! और दूसरा नियम बताया है वह ये की पहले नियम को कभी मत भूलो! वरना आप एक दिन शेयर मार्केट से एक दिन बाहर हो जायेंगे।
स्टॉपलॉस क्यों लगाए? Why place a stoploss?
कई लोगों की सोच होती है की जब हम बिना stoploss लगाए ट्रेड कर सकते है तो उसे क्यू लगाए, इस उलझन में क्यू पड़े? लेकिन नादान ट्रेडर ये नही समझते की इस उलझन न पड़ने से हम उलझन में पड़ जायेंगे। मैंने खुद भी ट्रेडिंग में लाखो रुपए का लॉस किया था, क्यू की मैं भी स्टॉपलॉस नही लगता था। पर जबसे मैंने स्टॉपलॉस को ट्रेडिंग में impliment किया है मैं काफी हद तक प्रॉफिट करता हूं। लोग गलतियां करते है और दोष मार्केट को देते है,जब की गलती अपनी ही होती है।
लगभग हर ट्रेडर खुद को बहुत होशियार समझता है, और इसी अहम में आ जाता है की मुझे स्टॉपलॉस लगाने की क्या जरूरत है, में तो सही स्टेटजी का उपयोग कर रहा हु। लेकिन वह ये नही समझते की ये शेयर मार्केट है, यहां किसी भी समय कुछ भी हो सकता है। हर समय कुछ नया होता है। जो लोग इस फील्ड में दस बीस साल से पुराने है वह भी बिना स्टॉपलॉस के ट्रेडिंग नही करते, तो आपकी खेत की मूली हो! समझ रहे मेरी बात को।
कई लोग ये भी बताते है कि स्टॉपलॉस को छोटा ही रखना चाहिए क्यों की इससे हमारा नुकसान ज्यादा होता है। मान लिया की स्टॉपलॉस को छोटा रखना चाहिए लेकिन कई बार ऐसा भी होता की आपने कॉल का ट्रेड लिया और मार्केट कुछ ऊपर भी गया फिर रिवर्स होकर आपके स्टॉपलॉस को हिट कर के बड़ी मूवमेंट बनाई। Stoploss को लेकर रिटेल ट्रेडर के दिमाग में हर समय दुविधा रहती है। इसे छोटा रखे या बड़ा रखे, स्टॉपलॉस लगाए या ना लगाए। इस दुविधा को आप खुद एक ही स्ट्रेटजी का उपयोग करके live मार्केट में प्रैक्टिस करके सुलझा सकते है। ये कोई बड़ी बात नहीं है।
वैसे देखा जाए तो सेबी के आकड़े के अनुसार 90% ट्रेडर्स ऑप्शन एंड फ्यूचर ट्रेडिंग में loss ही करते है। इसकी एक वजह stop loss ना लगाना भी है। ये गलती अक्सर अधिकतर ट्रेडर्स करते है, जिसका खामियाना उन्हें भुगतना पड़ता है। इसे ट्रेडर्स की भलाई के लिए ही बनाया गया है। सिर्फ इसका सही तरह से इस्तेमाल करना आना चाहिए। इस बात को समझ लिया तो आप treding war के बादशाह बन सकते है। हर सफल ट्रेडर ट्रेडिंग कुछ प्रिंसिपल्स को फॉलो करता है जिसमे स्टॉपलॉस भी एक होता है। ये हमेशा ध्यान में रखे।
जिस तरह कोई योद्धा युद्ध के मैदान में उतरता है तो उसके पास तलवार भी होती है और ढाल भी होती है। तलवार होती है युद्ध में जितने के लिए और ढाल होती है हमारी अपनी सुरक्षा के लिए। ये तो आप जानते ही है। यहा शेयर मार्केट में intraday या option future ट्रेडिंग करना भी एक युद्ध की तरह ही है। जिसमे प्रॉफिट और लॉस हमे हार या जीत के रूप मिलते है। ट्रेडिंग में तलवार का मतलब है टारगेट और ढाल का मतलब है स्टॉपलॉस। अगर हम युद्ध के मैदान में बिना ढाल लिए गए तो क्या होगा? निश्चित ही हमे कोई शारीरिक नुकसान होगा। इसलिए हर रिटेल ट्रेडर को ट्रेड लेते समय स्टॉपलॉस जरूर लगाना चाहिए।
अब आपको पता चल गया होगा की स्टॉपलॉस लगाना जरूरी क्यों है, ये स्टॉपलॉस ही है, जो हमारे wealth को प्रोटेक्ट करता है। अगर आप शेयर मार्केट में ट्रेड करते करते है तो आप इसे अच्छी तरह जानते होंगे। शेयर मार्केट में हमारा सबसे पहला काम होना चाहिए अपने पैसों को प्रोटेक्ट करना, ना की सिर्फ प्रॉफिट करना। चाहे हमे कम प्रॉफिट हो, लेकिन हद से ज्यादा का लॉस नही होना चाहिए, यही सफलता की कुंजी है। Stoploss क्या है, क्यू लगाए और stoploss लगाना जरूरी क्यों है? इसे जानने के बाद हम जानते है की लोग किस किस तरह से मार्केट में नुकसान करते है।
Stop loss ना लगाने के कारण लोग किस तरह नुकसान करते है?
1. खुद का अहम : जब कोई शेयर मार्केट में ऑप्शन में ट्रेड करता है तो ज्यादातर लोग में अहम होता है की मुझे क्या जरूरत स्टॉपलॉस लगाने की। वह खुद को बहुत होशियार, चालाक, और अकलमंद समझता है। वह समझता है की मैं तो अच्छे से ट्रेडिंग कर सकता हु, stoploss तो उन लोगों के लिए है जिन्हे ज्यादा कुछ नहीं आता। मुझे कब एंट्री लेना है और कब exit होना है, मैं सब जानता हूं। इसी अहम में कुछ लोग अपने वेल्थ को गवाते रहते है।
2. गलत ट्रेड पर प्रॉफिट की उम्मीद : अधिकतर लोग बिना स्टॉपलॉस लगाए ट्रेड करते है। जब उन्हें प्रॉफिट होता है तो वह ज्यादा समय तक ट्रेड में टिके नही रहते। जैसे ही उन्हें कुछ प्रॉफिट होने लगे, वह तुरंत exit हो जाते है। लेकिन जब उन्हें लॉस हो रहा होता है, तब वह ज्यादा समय तक उसी ट्रेड में इस उम्मीद के साथ टिके रहते है की शायद मार्केट यहां से रिवर्स लेगा। लेकिन ज्यादातर केसेस में ऐसा नहीं होता और ट्रेडर बहुत बड़ा लॉस लेकर एग्जिट होता है। उसी ट्रेड में अगर stop loss लगाया होता तो उसके हिट होते ही आप ट्रेड से कम लॉस लेकर बाहर हो जाते। 40 या 50% के लॉस की जगह 8 से 12% स्टॉप लॉस लेकर निकल सकते थे। ईमानदारी की बात है, ज्यादा से ज्यादा ट्रेडर्स यही गलती बार बार दोहराते है।
3. स्टॉपलॉस को बार बार बदलते रहना : ऑप्शन एंड फ्यूचर में ट्रेड करने वाले कुछ ऐसे भी लोग होते है जो स्टॉपलॉस तो लगाते है पर मानसिक रूप से satisfy नहीं होते। उन्हें ट्रेड की सही पहचान नही होती, जिस वजह से वह स्टॉपलॉस को बार बार बदलते रहते है, जो की गलत है। जैसे ही मार्केट stop loss के पास आती है वह stop loss को बढ़ाते रहते है जिससे उन्हें ज्यादा लॉस हो जाता है।
4. Stoploss लगाने की आदत ना होना : अगर आप ऑप्शन में किसी भी सेगमेंट में ट्रेड करते है तो आपको इस आदत को जरूर लगा लेनी चाहिए। जिन्हे stoploss लगाने की आदत नही है वह कुछ ट्रेड तो कम लॉस या प्रॉफिट लेकर निकल जाते है लेकिन कई बार मार्केट में अचानक से बड़ी मूवमेंट आ जाती है। जो लोग ऐसे समय बिना स्टॉप लॉस लगाए विपरीत ट्रेड लिए होते है, उन्हे बड़े लॉस का सामना करना पड़ता है। ये हर ट्रेडर ने अपनी treding journey में अनुभव किया होगा। ऐसे ट्रेडर को जब बड़ा लॉस हो जाता है तो उसका माइंडसेट बिगड़ जाता है। ऐसे में वह बिना सोचे समझे लॉस को कवर करने के चक्कर में अपना सारा amount गवा बैठते है, रिटेल ट्रेडर्स के साथ ये सिलसिला बार बार होता रहता है। इससे बचना है तो आपके पास एकमेव पर्याय है स्टॉपलॉस लगाने की आदत लगा लेना। अगर 20 दिनों तक नियम से स्टॉपलॉस लगाते गए तो आपको ये आदत लग जायेगी। फिर आपका कभी बड़ा लॉस नही होगा, और आपका डीमैट अकाउंट खाली नही होगा। लॉस छोटा होगा तो धीरे धीरे प्रॉफिट बड़ा होने लगेगा। एक बात हमेशा याद रखिए, सर सलामत तो पगड़ी हजार। अगर आपके डीमैट में पैसे है तो आप कभी भी पैसे कमा सकते है। लेकिन अगर पूरे अमाउंट का नुकसान कर लिया तो पछताने के सिवा कुछ भी नही कर पाएंगे।
5. Wrong mantality : जब हम कोई कॉल का ट्रेड लेते है, और विपरीत दिशा में यानी put की तरफ moovment करता है तो हम ट्रेड को ना स्टॉपलॉस लगाते है और ना ही ट्रेड को एग्जिट करते है। क्यो की हमारा माइंडसेट प्राइस ऊपर ही जायेगी, यही रहता है। लेकिन लाइव में जब मार्केट प्राइस आपने जो ट्रेड लिया है, इसके विपरित जाता है तो हम इसे accept ही नही करते। मार्केट उल्टी दिशा में चला जाता है। लेकिन अब तक बहुत देर हो चुकी होती है। हम अपने लॉस को बहुत बड़ा कर चुके होते है। ये सब नुकसान स्टॉपलॉस ना लगाने के कारण और अपने फैसले पर अडिग रहने के कारण होता है। आप तो यही मान चुके होते है की मैं सही हूं, ये आपके अहम के कारण होता है। अधिकतर लोग मैं गलत था, या गलत हूं ऐसा मानते ही नहीं, गलती को स्वीकार ही नही करते।
स्टॉप लॉस ऑर्डर कैसे लगाते है?
जब हम stop loss order लगाना चाहते है तो सबसे पहले हमें डिसाइड करना पड़ता है की हम स्टॉपलॉस को मार्केट ऑर्डर की तरह लगाना चाहते है या लिमिट ऑर्डर की तरह लगाना चाहते है। अगर हम स्टॉपलॉस को मार्केट ऑर्डर की तरह लगाना चाहते है तो हमे एक ट्रिगर सेट करना होगा। इसे SL_M ऑर्डर कहते है। जैसे ही मार्केट प्राइस ट्रिगर के पास आएगा, हमारा स्टॉपलॉस हिट हो जाएगा और हम बड़े लॉस की जगह छोटा सा लॉस लेकर निकल जायेंगे।
लेकिन अगर हम स्टॉपलॉस को लिमिट ऑर्डर की तरह लगाना चाहते है तो हमे ट्रिगर के साथ लिमिट भी लगाना पड़ेगा। इसे हम SL ORDER या स्टॉपलॉस लिमिट ऑर्डर भी कह सकते है। जैसे ही मार्केट प्राइस ट्रिगर के पास आएगा, हमारा स्टॉपलॉस ऑर्डर एक्टिवेट हो जायेगा और एक्सचेंज में हमारा एक ऑर्डर लग जायेगा। मार्केट प्राइस जैसे ही लिमिट के पास जायेगा, हमारा ट्रेड एग्जिट हो जायेगा।
चलिए, अब हम इसे example देकर समझते है। पहले बात करेंगे stop loss market order की। मान लीजिए, हमने कोई शेयर 430 में buy किया, ये सोचते हुए की इस शेयर का प्राइस बढ़नेवाला है। इसे हमने पहले ही buy करके रखा है, तो हमे सेलिंग stop loss order लगाना पड़ेगा। यहां हम ज्यादा से ज्यादा 12 रुपए का लॉस उठाने के लिए स्टॉपलॉस लगाएंगे। तो हमे 430 से 12 को माइनस करके 418 पर सेलिंग स्टॉप लॉस लगाएंगे। इसके लिए हम अपने शेयर के सेल ऑप्शन में जायेंगे, वहा पर ऑर्डर टाइप में SL M को सिलेक्ट करेंगे। फिर वहा पर ट्रिगर प्राइस डालने का ऑप्शन होगा। ट्रिगर प्राइस में हम 430 से 12 को माइनस करके 418 डाल देंगे, क्यों की हम ज्यादा से ज्यादा 12 का लॉस लेना चाहेंगे इसलिए। फिर ऑर्डर प्लेस कर देंगे। फिर मार्केट प्राइस जैसे ही ट्रिगर के पास आयेगी तो ट्रिगर एक्टिवेट हो जायेगा और हमारा ट्रेड एक्जीक्यूट हो जायेगा। यहां हम इस एग्जांपल में 430 में buy की जगह शॉर्ट पोजिशन ली होती तो हम 12 का लॉस लेकर हम buy ऑप्शन में जाते और वहा पर ऑर्डर टाइप में SL M को सिलेक्ट करते फिर ट्रिगर प्राइस में 430+ 12= 442 को लगाकर ऑर्डर प्लेस कर देते। इस तरह हम स्टॉप लॉस लगा सकते है।
दोस्तो, आपने ये तो जान लिया की stoploss की मार्केट ऑर्डर सेलिंग पोसिशन के लिए और बाइंग पोजिशन के लिए कैसे लगाई जाती है। चलिए, अब जानते है की बाइंग और सेलिंग पोजिशन के लिए SL ऑर्डर कैसे लगाए जाते है?
यहां हम मान के चलते है की आपने पहले से ही किसी शेयर की buying position बनाई हुई है, जिसे आपने 430 में buy किया है। जिसमे आप ज्यादा से ज्यादा 12 का ही लॉस लेना चाहते है। इस के लिए इस ट्रेड में आपको लिमिट स्टॉपलॉस ऑर्डर लगाना है, ताकि आपका नुकसान सीमित हो। इसके लिए सब से पहले हम उस शेयर के सेल ऑप्शन पर जायेंगे और SL सेट करेंगे। अब वहा पर आपको trigger price और limit price सेट करने का आप्शन आएगा।
आपका शेयर का buying price =430 rs
आप ज्यादातर लॉस लेना चाहते है =12 rs
फिर आपका trigger price और limit price क्या होना चाहिए, जिससे आपका SL order लग जाए। यहां आपने उस शेयर को 430 में इसलिए buy किया, क्यों की आपको लगता है की इसका प्राइस बढ़ेगा। इस कंडीशन में उस शेयर का प्राइस 450 हो गया तो आपको अच्छा प्रॉफिट होगा लेकिन अगर 430 से नीचे गिर गया तो लॉस होगा। आप सिर्फ 12 को लॉस ज्यादा से ज्यादा चाहते है तो 430 में से 12 माइनस करके 418 का आपको लिमिट प्राइस डालेंगे। अब trigger price आपको 418 से पहले का डालना होगा। यह इस case में हम 418 के नजदीकी प्राइस डालेंगे, जैसे 417.50 या 417.00 आप trigger price डालेंगे। याद रखिए trigger price हमेशा buying price और limit price के बीच में आता है, जो लिमिट प्राइस के नजदीकी प्राइस रहता है। यहां स्टॉपलॉस हिट होना होता है तो मार्केट प्राइस trigger के पास आता है और trigger एक्टिवेट हो जाता है। trigger एक्टिवेट होते ही आपका स्टॉपलॉस लिमिट ऑर्डर एक्सचेंज में चला जायेगा और लिमिट के पास प्राइस आते ही आपका stoploss हिट हो जाएगा, और आप बड़ा लॉस होने से बच जायेंगे। जब stoploss लग चुका होता है तब बीच हम इसे modify, canceled या delete भी कर सकते है।
अब sell या short position लेने पर लिमिट स्टॉपलॉस ऑर्डर कैसे लगाएंगे ये जानते है। यहां भी हम मान के चलते है हम ने 430 का शेयर शॉर्ट के लिए लिया है। यहां आपको मार्केट नीचे गिरेगा तो फायदा होगा और 430 से ऊपर जायेगा तो लॉस होगा। यह हम सिर्फ 12 पॉइंट्स का लॉस उठाने को तैयार है तो हम 430+12=442 का स्टॉपलॉस लगाना है। यहां हमने पहले ही शॉर्ट पोजिशन लिया हुआ है इसलिए हम buying stoploss order लेंगे। इसके लिए हम अपने शेयर के buy ऑप्शन में जायेंगे। वहा पर SL ko सिलेक्ट करेंगे। इसमें भी आपके पास दो ऑप्शन आएंगे। Trigger price और limit price, यहां हम लिमिट प्राइस में 430+12=442 डालेंगे, और trigger price में 441या 441.50 डालेंगे और अपना ऑर्डर प्लेस कर देंगे। देखिए, यह भी हम ने trigger price को short selling price और limit price ke बीच में सिलेक्ट किया है। ताकि मार्केट प्राइस से लिमिट प्राइस तक आने से पहले ट्रिगर प्राइस आए। ऑर्डर प्लेस होने के बाद शेयर का प्राइस ट्रिगर के पास आते ही ट्रिगर एक्टिवेट हो जायेगा, आपका लिमिट ऑर्डर एक्सचेंज में एग्जिट होने के लिए चला जायेगा। प्राइस जैसे ही लिमिट के पास आएगा आपका ट्रेड एक्जीक्यूट हो जायेगा। मैंने ऊपर बताई हुई बाते टेक्निकल है इसलिए इसे आप इसे गौर से समझिएगा। हो सके तो दुबारा रिपीट कर सकते है।
trailling stoploss order कैसे लगाते है?
अब trailling stoploss कैसे लगाते है, ये भी समझ लेते है। इससे पहले trailling stoploss क्या है ये भी समझना जरूरी है। दोस्तो, आप शेयर मार्केट में ट्रेड करते है तो आपने देखा ही होगा की कई बार मार्केट में बड़े बड़े मूवमेंट आते है। जिसे ज्यादातर लोग catch नही कर पाते। क्यो की ऐसे मौके पर कई ट्रेडर्स थोड़ा बहुत प्रॉफिट लेकर निकल जाते है। उन्हें ये डर होता है की कही जो प्रॉफिट उन्हें हो गया है, ये भी हाथ से ना निकल जाए। उन्हें ऐसे मौके पर बढ़िया प्रॉफिट हो सकता था, लेकिन ये तब हो सकता था जब वह trailling stoploss लगाया होता। जैसे जैसे मार्केट मूवमेंट करता है ट्रेडर ज्यादा प्रॉफिट के लिए अपने स्टॉपलॉस को trail करता रहता है, इसी को ट्रेलिंग स्टॉपलॉस कहा जाता है। अगर आप बड़े प्रॉफिट के इच्छुक है तो आपको भी इसकी जानकारी होना अति आवश्यक है।
कई बार होता क्या है, आपका ट्रेड प्रॉफिट में रहता है और आप प्रॉफिट को बुक नही करते। आप और भी ज्यादा प्रॉफिट चाहते है। पर कुछ समय बाद मार्केट में आपके ट्रेंड के विपरीत moov आता है और आप अपना ट्रेड लॉस बुक करके एग्जिट करते है। आप जैसे ही एग्जिट करते है मार्केट फिर रिवर्स मारकर आपने जो ट्रेड लिया था उसी दिशा में बड़ा मूवमेंट देता है। इस तरह आपने जो प्रॉफिट हुआ था उसे भी खो दिया। ऊपर से लॉस भी ले लिया। दूसरी ओर उसी ट्रेड में आपको बड़ा मूव मिलना था उससे भी हाथ धो बैठे। अगर इसकी जगह आपने स्टॉपलॉस लगाया होता और समय समय पर उसे ट्रेल किया होता तो आप इस तरह के नुकसान से बचते हुए बड़ा प्रॉफिट कमा पाते। यही काम trailling stop loss करता है। एक तरह से ये रिस्क मैनेजमेंट और ट्रेड मैनेजमेंट का मिलजुला कॉम्बिनेशन है। इससे आपने जो प्रॉफिट किया है वह safe रहता है। अगर आगे मार्केट आपके पक्ष में रही तो आपको और भी ज्यादा प्रॉफिट मिलता रहता है। लेकिन अगर आपने प्रॉफिट होने के बाद प्रॉफिट में रहकर स्टॉपलॉस को ट्रेल किया और मार्केट आगे आपके पक्ष में नहीं जाती तो आपका trailling stoploss हिट हो जाता है। यहां फिर भी आप छोटा ही सही लेकिन प्रॉफिट में ट्रेड से बाहर होते है। यही कमाल है ट्रैलिंग स्टॉपलॉस का। जिस तरह मार्केट प्राइस आपके पक्ष में बढ़ता है आपको अपने स्टॉपलॉस को मोडिफाई करके trigger price और limit price इन दोनो निश्चित दूरी बनाते हुए ट्रेल करते रहना है। मार्केट आपके स्टॉपलॉस को चाहे कभी भी हिट करके लेकिन आप लॉस में नही रहोगे।
कई लोगो की सोच होती है की नॉर्मल stop loss और trailling stop loss को अलग तरीके से डाला जाता है? जवाब है, नही..! इसे भी नॉर्मल स्टॉपलॉस लिमिट ऑर्डर की तरह ही लगाया जाता है लेकिन इसे सही प्रॉफिट हो जाने के बाद modify करके आगे खिसकाया जाता है। समय समय पर इसे सही प्राइस पर मोडिफाई किया जाता है। मोडिफाई भी सही प्राइस पर किया जाना चाहिए, नही तो आगे इसी ट्रेड में होनेवाले प्रॉफिट को नही ले पाएंगे और आप उससे पहले ही लिमिट ऑर्डर आपको एग्जिट कर देगा।
Trailing stop loss को पहले बताए गई तरीके से स्टॉपलॉस लिमिट ऑर्डर की तरह ही लगाना होता है। जब हमे ट्रेड में सही प्रॉफिट लगने लगे तो इसे सही समय पर सही लिमिट पर मोडिफाई करे।
कई लोग 20 EMA की मूविंग एवरेज का उपयोग करते है, कोई सपोर्ट रेजिस्टेंस का सहारा लेते है तो कोई RSI की बेसिस पर ट्रेड लेते है, सबकी अपनी अपनी मर्जी होती है। आप जिस भी इंडिकेटर या चार्ट पैटर्न पर ट्रेड लो, आपको बस उसी पर नजर रखके ट्रेड में बने रहना है और ट्रेलिंग स्टॉप लॉस को ट्रेल करते रहना है। बाकी काम तो मार्केट ही करेगी। इसके लिए आप लॉजिक के आधार पर ट्रेड लेकर लॉजिक के आधार पर ही ट्रेल करना बंद करे। अगर पहली बार इस तरह का स्टॉप लॉस लगाएंगे तो, हो सकता है की कुछ गलतियां हो जाए। लेकिन रोज रोज की प्रैक्टिस से आपका हाथ भी साफ होगा और एक्सपीरियंस भी होगा। सही जगह stoploss लगाने और ट्रेल करने की प्रैक्टिस के लिए आप सिर्फ और सिर्फ एक ही स्ट्रेटजी को चुन लीजिए, जो आपको सबसे बेहतर लगे। उसी पर आपको ट्रेड करना और स्टॉपलॉस लगाना और ट्रेल करना है। लेकिन आप बार बार स्ट्रेटजी बद्लते रहेंगे तो आपके दिमाग में हर समय कन्फ्यूजन रहेगा जिससे आप सही जगह स्टॉप लॉस नही लगा पाएंगे।
मान लीजिए आप ऑप्शन ट्रेडिंग कर रहे है, जिसके लिए आपके पास आपकी कोई एक स्ट्रेटजी है, जिस पर आप 8% का stoploss लगा रहे है। परंतु ट्रेडिंग के दौरान बार बार स्टॉपलॉस हिट हो रहा है तो आपको जरूरत है की आप उसे थोड़ा दूर का रख दे। फिर भी ज्यादा बार स्टॉपलॉस ही हिट होता है तो आप अपनी स्ट्रेटजी को सही तरह से मोडिफाई कर लीजिए, जिससे आपका प्रॉफिट होने लगे।
स्टॉपलॉस कितना लगाना है, कहा लगाना है? कितने परसेंटेज का लगाना है? ये सब अपनी अपनी स्ट्रेटजी पर निर्भर करता है। हम हजारों तरह की स्ट्रेटजी बना सकते है। स्टॉप लॉस लगाने के लिए कई बाते मैटर करती है जैसे...
- आप कौन सी स्ट्रेटजी का उपयोग कर रहे है?
- आप किस timeframe के आधार पर ट्रेड कर रहे है?
- आप कितना समय ट्रेड में बने रहना चाहते है?
- आप किस सेगमेंट में ट्रेड कर रहे है?
- आप किस तरह की ट्रेडिंग करते है?
Conclution :
दोस्तो : इस पोस्ट में मैने What is stoploss order kya hai Stoploss kaise lagaye? स्टोपलॉस क्या होता है? स्टॉप लॉस लगाना जरूरी क्यों है? स्टॉपलॉस न लगाने से क्या क्या नुकसान हो सकते है? और trailing stop loss को कैसे लगाते और ट्रेल करते है? इसके बारे में विस्तृत जानकारी साल भाषा में देने की कोशिश की है। मुझे आशा है की आपको ये आर्टिकल बहुत पसंद आया होगा। इसमें मैंने जो बाते बताई हुई है, इससे related कोई सवाल, कोई quiry या सलाह है तो आप कमेंट कर सकते है। इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करे। ताकि आपके दोस्तो को भी इससे लाभ मिलता रहे। इस तरह की पोस्ट्स के लिए TOPMONEYTANTRA.BLOGSPOT.COM इस ब्लॉग को visit करते रहे, धन्यवाद...।
मेरी बात करे तो मैं जब शुरुआती दौर में ट्रेडिंग करता था तो स्टॉपलॉस बिलकुल भी नहीं लगता था
एक टिप्पणी भेजें
0टिप्पणियाँ