Financial planning in hindi फाइनेंशियल प्लानिंग इन हिंदी

जीवन पाटील
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Financial planning in hindi फाइनेंशियल प्लानिंग इन हिंदी

Financial planning in hindi फाइनेंशियल प्लानिंग इन हिंदी

हमे अपने फाइनेंशियल goals को पाने के लिए वित्तीय योजना या फाइनेंशियल प्लानिंग होना बेहद जरूरी होता है। फाइनेंशियल प्लानिंग इन हिंदी इस पोस्ट में हम इससे जुड़ी सारी जानकारी हिंदी में जानेंगे। क्यों की आर्थिक आजादी पाने के लिए इससे बड़ा कोई हथियार हो ही नही सकता। इस पोस्ट में हम फाइनेंशियल प्लानिंग क्या है? Financial planning के फायदे क्या है? और इसे कैसे बनाए इस बारे में सारी जानकारी हम डिटेल में समझने वाले है।


दुनिया का हर एक व्यक्ति आगे बनना चाहता है अपनी फाइनेंसियल कंडीशन को आज से बेहतर बनाने की कोशिश करता है। कोई व्यक्ति पचास लाख की ख्वाइश रखता है, कोई एक करोड़ रुपए कमाना चाहता है, तो कोई घर प्लॉट या जमीन खरीदना चाहता है। सभी की इच्छाएं अलग होती है और सभी इस दौर में आगे बढ़ना चाहते है। लेकिन बहुत कड़ी मेहनत के बावजूद भी कई लोग सालों तक अपनी आर्थिक स्थिति को जरा सा भी आगे नहीं बढ़ा पाते। इस सब बड़ा मैं रीजन होता है की वह किसी तरह की फाइनेंशियल नॉलेज भी नही रखते और अपने goals पाने के लिए उनके पास कोई प्लानिंग भी नहीं होती। आर्थिक रूप से सक्षम बनने के लिए मेहनत से भी ज्यादा बुद्धिमानी की यानी दिमागी मेहनत की ज्यादा जरूरत होती है। हमारी बुद्धिमानी इसी में है की हम अपने बड़े बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग जरूर करे। अपना विजन, अपना लक्ष्य को साध्य करने के लिए ये एक ब्रम्हास्र है, जो कभी फेल नही होता। सिर्फ आपको जरूरत है u प्लानिग पर एक्शन लेने की और उसकी एनालिसिस करने की। दोस्तो, मेरी आपसे रिक्वेस्ट है की इस पोस्ट में आप शुरू से अंत तक जरूर पढ़े। ये पोस्ट आपकी जिंदगी बदल सकती है।

Financial planning in hindi


बहुत सी lower class और middle class परिवार पिछली कई पीढ़ियों से गरीबी की स्थिति में ही जीवनयापन कर रहे है। उनकी पिछली रिकॉर्ड देखी जाए तो उनमें एक कॉमन बात नजर आएगी। वह कॉमन बात है फाइनेंशियल जानकारी की कमी होना। सबसे बड़ी विडंबना की बात तो ये है की जिस पैसे के लिए लोग तरह तरह के काम करते है, दिन रात मेहनत करते है, उसी पैसों को सही ढंग से मैनेज नही करते, उसे समझने की कोशिश नही करते और पैसों की प्लैनिंग नही करते। पैसों की प्लैनिंग से मेरा मतलब है आप पैसे के साथ किस तरह का व्यवहार करते है। उसके साथ आपका व्यवहार गलत होगा तो आप कितनी भी मेहनत कर ले, आप अपनी स्थिति में सुधार नहीं ला सकते। हम पैसा तो बहुत सारा कमा  लेते है, पर उन पैसों को जाने अंजाने में फिजूल में खर्चा कर डालते है। अगर मैं आपसे कहू की आपने पिछले पांच साल में क्या तरक्की की है। पिछले पांच साल की तुलना में आपने अपने परिवार के लिए फाइनेंशियल तौर पर क्या कुछ खास किया है। ज्यादातर लोगो का जवाब होगा की कुछ खास नही? इस सवाल पर कई लोग बहाने बनाएंगे की हमारे खर्चे बहुत बढ़ गए है, बचत ही नही हो पाती। अगर आप भी इसी समस्या से उलझे हुए है तो आपको फाइनेंशियल प्लानिंग के बारे में जरूर सोचना चाहिए। मनी मैनेजमेंट या पैसों की प्लैनिंग दुनिया में सिर्फ 10% लोग ही सही ढंग से कर पाते है। इसलिए उन 10% लोगों के पास दुनिया की 90% दौलत है। 

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बहुत से लोग अपनी भूतकाल में आर्थिक फैसले की गलती के बारे में याद करके पछताते है। क्यों की उन्होंने इस समय आर्थिक बारे में गलत फैसला लिया हुआ था। वह लोग इस तरह से पछताते है। 


  • अगर मैने दस साल पहले वह प्लॉटिंग खरीदी होती, तो आज मैं अमीर बन गया होता। 
  • आज मैने उन शेयर को खरीदा होता, तो आज मेरे पास करोड़ों रुपए होते। 
  • अगर उस समय मैंने वह जमीन खरीद ली होती तो आज मैं मालामाल हो जाता। 
इस तरह के पछतावे कई लोग करते हुए दिखते है। ये पछतावा उन्हे इसलिए होता है क्यों की उस समय उनके पास पर्याप्त पैसे तो थे लेकिन उस समय उनके पास फाइनेंशियल नॉलेज नही थी, फाइनेंशियल प्लानिंग नही थी। पैसों को बढ़ाने की मैनेज करने की और पैसों को सही जगह इन्वेस्ट करने की जानकारी नहीं थी। इसलिए उन्होंने फाइनेंशियल के बारे में गलत फैसला लिया जिसके लिए वह आज पछता रहे है। 

जब कोई व्यक्ति अपनी financial condition को ठीक करने में नाकामयाब होता है तो इसके पीछे सबसे बड़ा रीजन होता है की कही ना कही अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग ना करना। आज इस पोस्ट में इसके बारे में अच्छे से समझेंगे। इस पोस्ट में हम समझेंगे की 

  1. फाइनेंशियल प्लानिंग क्या होती है?
  2. फाइनेंशियल प्लानिंग के क्या क्या benefits है?
  3. फाइनेंशियल प्लानिंग कैसे करे?  

इसके साथ हम उन पॉइंट्स को भी discuss करेंगे जिनकी मदद से हम सक्सेसफुली financial planning कर पाएंगे। अब सबसे पहले जान लेते है की फाइनेंशियल प्लानिंग क्या होती है? अपने आप ये विषय बहुत ही बड़ा है। इस विषय पर जितनी बात की जाए कम ही है। आज इस पोस्ट हम इस विषय पर सटीकता के साथ चर्चा करेंगे।

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फाइनेंशियल प्लानिंग क्या होती है?


फाइनेंशियल प्लानिंग ये एक तरह का प्रोसेस होता है, एक योजना होती है, जिसमे अपना income, expenses, saving और investment aur apna goals भी शामिल होते है। इस प्लानिंग में इन सभी पॉइंट्स को इस तरह से मैनेज किया जाता है जिससे  आपका फाइनेंशियल goals को प्राप्त  किया जा सके।आप इन सभी को अपने स्मार्ट तरीके से मैनेज करते है जिससे आपकी फाइनेंशियल कंडीशन बेहतर हो जाए। इसे इसलिए बनाया जाता है क्यो की धनसंबंधी उद्देशो को पूरा किया जा सके। 


इसे आप इस तरह से समझ सकते है। जैसे आप इस समय पूना शहर में स्थित है, लेकिन आपको अब से तीसरे दिन की शाम सात बजे तक मुंबई पहुंचना है। इस तरह से आपका लक्ष तय हो गया की आपको मुंबई जाना है। यह समय सीमा भी तय हो गई है की तीसरे दिन की शाम सात बजे तक जाना है। अब सवाल आता है की हम मुंबई पहुंचने के लिए कौन सा तरीका या रणनीति का उपयोग करेंगे। आपके पास कई तरीके है जैसे, ट्रेन से, मोटरसाइकिल से, विमान से, या फिर ट्रैवल से। यह आपने ट्रेन को चुना। इस तरह से आपकी उचित लक्ष तक पहुंचने की प्लानिंग हो गई। लेकिन फाइनेंशियल प्लानिंग में इसकी विस्तूत जानकारी होती है। जो आपको सही राह चुनने में मदद करती है। 


इसे हिंदी में वित्तीय योजना भी कहा जाता है। ये एक स्मार्ट तरीके से बनाई हुई योजना होती है, जिसमे अपनी वर्तमान आर्थिक स्थिति और दीर्घकालीन financial goals को प्राप्त करने की रणनीति होती है। इसे व्यक्ति खुद या किसी फाइनेंशियल प्लानर से बनवा सकता है। इसके अलावा इसकी गहराई में जाकर जानने पर हमे इसकी सर्वोत्तम फाइनेंशियल प्लानिंग मिलती है। जिससे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है। हमारे वित्तीय लक्ष्य कई तरह के होते है। जैसे 


  • जमीन खरीदना, 
  • घर खरीदना, 
  • बच्चों की पढ़ाई, 
  • शादी ब्याह करना, 
  • गाड़ी खरीदना, 
  • आर्थिक आजादी या फिर चुनिंदा अमाउंट को कमाई करना। 

इस तरह से एक योजना बनाकर उसपर कार्य किया जाता है। इसे आप जितना स्मार्टली करते है उतना आपको ज्यादा बेनिफिट्स मिलते है। अपने सारे आर्थिक लक्ष्यों को आसानी प्राप्त करने के लिए इन सब पर आपका अच्छी तरह कंट्रोल होना आवश्यक होता है। अपने मेहनत से कमाए गए पैसे को आप बिना अपने कंट्रोल के ऐसे ही उड़ा देते, तो आप हमेशा आर्थिक रूप से कमजोर ही रहेंगे। भले आपकी आमदनी कितनी भी क्यों न हो। लेकिन ठीक इसके विपरित आपकी आमदनी लोगों की तुलना में कम है, लेकिन आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग अच्छी है तो आप भविष्य में आर्थिक रूप से strong बन जायेंगे। 


फाइनेंशियल प्लानिंग क्यों जरूरी है?

एक अच्छी फाइनेंशियल प्लानिंग में अनिवार्य रूप से ऐसी योजना समाविष्ट होती है, जिससे आप भविष्य में अपने amount को अच्छे से बढ़ा सके। वैसे देखा जाए तो कई आर्थिक योजनाओं में स्पष्ट रूप से कोई रणनीति सामिल नही होती। सही समय पर जो रणनीति कारगर हो सकती है उस पर काम किया जाता है। समय समय पर उसे अपने अनुरूप बनाया जाता है। किसी भी काम को करने के लिए परफेक्ट प्लान की जरूरत होती है, तक उस प्लान में सफल होने की संभावना बढ़ जाते है। इसके बारे में किसी विदेशी लेखक ने एक बात कही है। success depends on proper planning and action being proper is halp the bettle won. इसका मतलब अगर आपकी तैयारी अच्छी है और आपकी प्लानिंग स्थिति अनुरूप परफेक्ट है तो आपकी आधी जीत तो पहले ही पक्की हो जाती है। युद्ध में जीत हासिल करने के लिए भी सही प्लानिंग की जाती है तब युद्ध को जीता जाता है। इस संसार में अपने लक्ष्य को पूरा करना भी एक तरह का युद्ध ही होता है, यहां आपको कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। अगर हम बिना किसी प्लानिंग किए ही कुछ भी कार्य करते है तो हम सिर्फ भटकते ही रहते है। न कोई मंजिल होती है ना कई रास्ता होता है। बस सिर्फ टहलते रहते है। मान लीजिए समंदर में एक जहाज है, लेकिन उसका कोई कप्तान नही है जो उसे सही जगह पर ले जाए। तो क्या होगा? आपको पता है को वह जहाज कहा जायेगा? हो सकता है की वह किसी ऐसी जगह पर चला जाए जहा उसे जाना नही चाहिए। या फिर बीच समंदर में कही पत्थर से टकरा जाए। या फिर ये भी हो सकता है की वह किसी चक्रवात में फंसकर डूब जाए। हमारी जिंदगी भी इसी तरह दिशाहीन होती है। अगर हम अपने goals के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग करते है तो हमारे जीवन को एक दिशा मिलती है। इसलिए फाइनेंशियल प्लानिंग करना जरूरी हो जाता है।


फाइनेंशियल प्लानिंग के क्या फायदे है?

1. फालतू खर्चे की रोकथाम : 


हम अपने निजी जीवन में ना जाने कितने पैसे गैर जरूरी खर्चे में उड़ा देते है, जिसकी हमे कल्पना भी नहीं होती। आजकल हमारी जरूरते हद से ज्यादा बढ़ गई है। बढ़ गई इसका सीधा सा मतलब है की ज्यादातर जरूरतों को हमने ही बढ़ाया है। क्यों की होने वाले खर्चों पर हमारा कोई कंट्रोल नही होता। हम किसी मॉल में दो चार चीजे खरीदने के लिए जाते है लेकिन घर आते आते हम बहुत सारी चीजे खरीद चुके होते है। बहुत सी चीजे गैर जरूरी होती है, उनमें से कई चीजों को avoid किया जा सकता था। हमने जिस लक्ष्य को चुना है उसे पूरा करने में ये फिजूल खर्ची रोड़े का काम करती है, इसलिए उन्हें फाइनेंशियल प्लानिंग के तहत रोकथाम किया जाता है।


2. खर्चे और बचत, निवेश के बीच तालमेल : 

आर्थिक आजादी के लिए या goals को प्राप्त करने के लिए होनेवाली इनकम, होनेवाले खर्चे और की जाने वाली बचत या इन्वेस्टिंग इनमे सही तरह से तालमेल बिठाया जाता है। ये तालमेल बिठाना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि आपने खर्चे ज्यादा किए तो आपकी बचत या निवेश नही हो पाएगा और निवेश न होने पर आपका प्लानिंग असफल हो जायेगा। इसलिए फाइनेंशियल प्लानिंग में इन सभी के बीच एक तालमेल बिठाया जाता है। आपकी कमाई के उपर खर्चे आधारित होते है। खर्चों के ऊपर बचत निर्भर होती है और बचत के ऊपर इन्वेस्टमेंट निर्धारित होती है। प्रतिमाह अच्छी इन्वेस्टमेंट होती रही तो आपका लक्ष्य भी आसानी से पूरा हो जाता है। कही ना कही ये सारी बाते एक दूसरे पर डिपेंड होती है, इसलिए इन्हे तालमेल करके सही ढंग से मैनेज किया जाता है। 


इसे आप इस तरह से समझ सकते है। जैसे आप इस समय पूना शहर में स्थित है, लेकिन आपको अब से तीसरे दिन की शाम सात बजे तक मुंबई पहुंचना है। इस तरह से आपका लक्ष तय हो गया की आपको मुंबई जाना है। यह समय सीमा भी तय हो गई है की तीसरे दिन की शाम सात बजे तक जाना है। अब सवाल आता है की हम मुंबई पहुंचने के लिए कौन सा तरीका या रणनीति का उपयोग करेंगे। आपके पास कई तरीके है जैसे, ट्रेन से, मोटरसाइकिल से, विमान से, या फिर ट्रैवल से।  यह आपने ट्रेन को चुना। इस तरह से आपकी उचित लक्ष तक पहुंचने की प्लानिंग हो गई। लेकिन फाइनेंशियल प्लानिंग में इसकी विस्तूत जानकारी होती है। जो आपको सही राह चुनने में मदद करती है। इसके क्या क्या फायदे होते है ये भी जान लेते है।


3. बचे हुए पैसे का सही जगह पर निवेश : 


अपने जरूरी goals को पूरा करने के लिए इन्वेस्टमेंट बहुत जरूरी होता है। निवेश तब होगा जब आपके पहले स्टेप्स सही होंगे। आप प्लानिंग के तहत जो भी निवेश करते है, वह आपको पूर्वनिर्धारित तरीके से करना होगा जो सही रिटर्न दे सकता है। निवेश के साथ साथ इसमें होनेवाले जोखिम को भी मेंटेन रखना होता है, जो फाइनेंशियल प्लानिंग में साध्य हो सकता है। 


4. परिवार के लिए हेल्थ पॉलिसी : 

इस आर्थिक योजना में अपने परिवार की आर्थिक सुरक्षा के लिए भी उचित योजना बनाई जाती है। अपने परिवार के सदस्यों के लिए मेडिक्लेम पॉलिसी जैसी सुविधाओं के लिए उचित प्रबंध किया जाता है। ये भी जरूरी इस प्लानिंग का जरूरी कदम होता है। क्यों की आनेवाले समय में किसी भी सदस्य को health संबंधित कोई समस्या होती है तो उसे आसानी से निपटाया जा सके। परिवार के प्रमुख व्यक्ति के लिए टर्म इन्श्योरेन्स का विचार भी इसमें निर्धारित किया जा सकता है। क्यों की भविष्य में कब किसके साथ क्या हो सकता है, कुछ कहा नही का सकता। इसलिए इस प्लानिंग में पारिवारिक हेल्थ को भी ध्यान में रखा जाता है।


5. फाइनेंशियल निवेश का आसानी से चुनाव :


जैसे की मैंने आपको इस पोस्ट में example दिया था, उसी तरह आपको निवेश का रास्ता चुनने में आसानी हो जाती है। आपका goal कितना छोटा या बड़ा है, इसके आधार पर निवेश का तरीका चुनना आसान हो जाता है। आपका goal कितना बड़ा या छोटा है, वह छोटे समय के लिए है या लॉन्ग टर्म के लिए है, इसके आधार पर फाइनेंशियल निवेश का चुनाव किया जाता है। निवेश के कई तरीके होते है, किसमे रिस्क और रिवार्ड ज्यादा होता है तो किसी में रिस्क और रिवार्ड काम होता है। आसान लक्ष्य के लिए जोखिम को कम रखा जाता है तो बड़े लक्ष्य के लिए जोखिम को थोड़ा बढ़ाया जाता है। 


फाइनेंशियल प्लानिंग कैसे करे? 

इसके लिए हमारे पास दो विकल्प है। आप किसी फाइनेंशियल प्लानर की मदद लेकर उसकी सहायता से फाइनेंशियल प्लानिंग कर सकते हैं। दूसरे विकल्प में आप खुद थोड़ी सी मेहनत करके अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग कर सकते है। इसके लिए आपको कुछ बेसिक जानकारी लेनी पड़ेगी। इसके कुछ स्टेप्स मैं आपको यह बताने वाला हूं। लेकिन इससे पहले मैं आपको एक जरूरी बात करना चाहूंगा, जिसे समझना जरूरी है।


दुनिया में हर एक व्यक्ति की फाइनेंशियल कंडीशन, आमदनी और अपने खर्चे ये सब अलग अलग होते है। अपने earning के स्रोत भी अलग होते है, जिंदगी में हम जो लक्ष्य पाना चाहते वह भी एक दूसरे से अलग होते है। इसी तरह हर व्यक्ति के लिए फाइनेंशियल प्लान भी अलग ही होता है। ऐसा नहीं की कोई एक व्यक्ति का financial planning ये है तो हमारी भी वही रहेगी।

दूसरी समझने वाली बात ये है की फाइनेंशियल प्लान ये एक लगातार चलनेवाली प्रक्रिया है। इसलिए आप इसे ये न समझे की आपने इसे एक बार कर लिया और हो गया। आपको अपने फाइनेंशियल प्लान में समय समय पर कुछ जरूरी बदलाव करते रहना पड़ता है। उनमें बदलाव करने के कई सारेi वजह हो सकती है। जैसे आपके शादी के पहले की प्लानिंग में और शादी के बाद के प्लानिंग में बदलाव करना पड़ेगा। क्यों की आपने प्लानिंग में जो शादी का लक्ष्य रखा था, जो अब पूरा हो चुका है, तो आप को इस लक्ष्य को हटाकर किसी अन्य लक्ष्य के लिए प्लानिंग में बदलाव करना पड़ेगा। उसी तरह आपने चुने हुए किसी निवेश नीति में अपेक्षित रिटर्न नहीं दिया तो आपको इसमें बदलाव करना पड़ेगा। अब यहां हमने कुछ जरूरी बातों को जान लिया है अब फाइनेंशियल प्लानिंग कैसे करते है इसके बारे में जानेंगे। इसके कुल मिलाकर छे जरूरी स्टेप्स होते है, जिन्हे हम क्रमश सारे स्टेप्स के बारे में जानकारी लेते है।


1. चालू स्थिति में हमारी आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन

आज की हमारी financial condition कैसी है। इसमें हमारी आर्थिक स्थिति से जुड़े कई सारे पहलू को देखा जाता है। इसका मतलब है की आज आपकी वास्तविक हालत कैसी है? इसके बहुत सारे निम्नलिखित पहेलू होते है।

  • इस समय हमारी जमापूंजी कितनी है?
  • इनकम (earning) और खर्चे में कितना अंतर है?
  • हमारे उपर कितना loan है?
  • क्या हम पर्याप्त पैसे बचा पा रहे है?
  • अगर हमने निवेश किए हुए है तो वह किस तरह के है?
  • इनकम सोर्स कितने और कैसे है?
  • जो निवेश किया हुआ है उससे आपको क्या उम्मीदें है?
इस तरह से आप अपनी वास्तविक स्थिति का फाइनेंशियल कंडीशन का मूल्यांकन किया जाता है। इसी मूल्यांकन के आधार पर इसके अगले स्टेप्स लिए जाते है। 

किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को बेहतर तरीके से समझने के लिए आपको दो फाइनेंस स्टेटमेंट बनाने पड़ेंगे।
  1. Net worth statement 
  2. Cash flow statement 


# Net worth statement

Net worth statement में आपके उपर कितने कर्जे या दायित्व है? और कितनी संपत्ति है? इससे ये भी समझा जाता है की कही आपके उपर संपत्ति से अधिक दायित्व तो नही। और अगर संपत्ति है तो दायित्व को माइनस करने पर आपके पास कितना net worth है।

# Cash flow statement 

Cach flow में ये जाना जाता है की आपके क्या क्या इनकम सोर्स है? आपकी कुल इनकम कितनी है? और कुल खर्चे कितने है? इसके साथ ये भी जाना जाता है की आप वास्तविक रूप से हर महीने कितने पैसे बचा पाते है? 


इस प्रकार Net worth और Cash flow का मूल्यांकन करके इसे बनाया जाता है। इस तरह जब आप अपनी करंट फाइनेंशियल पोजिशन का e-valuation कर लेते है तो आपको अपनी वास्तविक आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है। इस तरह से आप आर्थिक रूप से कहा पर है? ये आंका जाता है। अब अगली दूसरी स्टेप में वित्तीय लक्ष्यों का स्पष्ट निर्धारण के बारे में जानेंगे।

2. वित्तीय लक्ष्यों का स्पष्ट निर्धारण :

इस दूसरे स्टेप में अपने financial goals को स्पष्ट करना होगा। आपको लिखित रूप में जीवन में क्या क्या चीजे पाना चाहते है और कब तक पाना चाहते है।  मतलब आपको अपना लक्ष्य भी लिखना है और उसकी समय सीमा भी लिखनी है। अगर आप कोई प्लॉट खरीदना चाहते है तो कब तक खरीदना चाहते है, कब तक पाना चाहते है, इस बारे में लिखना होगा। फिर आपके प्लॉट की कीमत क्या होगी। इसी तरह अपने सभी goals को इसी तरह स्पष्ट रूप में लिखना होगा। अपने इन लक्ष्य को detail में समय सीमा सहित लिखना होगा। जैसे अगर पढ़ाई चल रही है तो उसमे कब कितना खर्चा आ सकता है। पढ़ाई कब तक खत्म होगी। लोन है तो उसे कब तक खत्म करना चाहते है।

3. आपकी आज की आर्थिक स्थिति और आपके फाइनेंशियल goals के बीच कितना अंतर है?

आपकी आज की आर्थिक स्थिति जितनी बेहतर होगी, उस पर आपके बड़े goals के पूरे होने की क्षमता बढ़ेगी। आज हम आर्थिक रूप से जहा पर भी है वहा से कुछ साल बाद कहा पहुंचना चाहते है, उनमें कितना अंतर है, ये स्पष्ट रूप से लिखना पड़ेगा। जैसे आज से 12 साल बाद मैं बच्चे की पढ़ाई के लिए, या उसके higher  education लिए 10 लाख रुपए जमा करना चाहता हूं। लेकिन आज की कंडीशन में आपके पास जमा धन के रूप में 50,000 रुपए है तो इसका मतलब आपको 12 साल में कुल नौ लाख पचास हजार की जरूरत पड़ेगी। इस तरह आज आपकी धनराशि और आपके goals के बीच का गैप स्पष्ट रूप से समझ आना चाहिए। ताकि उन लक्ष्य को पूरा करने के लिए उचित निवेश योजना बनाई जा सके। इसके बाद अगली स्टेप्स के बारे में जानेंगे।


4. फाइनेंशियल प्लान तैयार करना : 

वैसे तो फाइनेंशियल प्लान के सभी स्टेप्स महत्वपूर्ण है। लेकिन इस स्टेप में हम वित्तीय प्लान कैसे तैयार किया जाता है, इस के बारे में जानेंगे। ये प्लान अपने पिछले स्टेप्स में जो डेटा आपको प्राप्त हुआ है उस पर आधारित रहता है, इसलिए हर व्यक्ति का फाइनेंशियल प्लान अलग रहता है। यहां हमे प्लान बनाते समय कई सारे सवालों के जवाब देने पड़ते है। जैसे..

  • हमें हर महीने कितने पैसे की बचत करनी होगी ?
  • बचत बढ़ाने के लिए हैं क्या क्या कर सकते है?
  • हमें कितने अतिरिक्त आमदनी की जरूरत पड़ेगी?
  • हमारे पास अपनी आमदनी बढ़ाने के क्या-क्या तरीके है?
  • अपने लक्ष्य को पाने के लिए कहा कितना निवेश की जरूरत पड़ेगी?
  • हमें निवेश पर कितने प्रतिशत कंपाउंड लाभ की जरूरत पड़ेगी?
  • हम कितने समय के लिए निवेश कर सकते हैं?
  • निवेश पर हम कितना रिस्क उठा सकते है?
  • कुल मिलाकर हमारी निवेश रणनीति क्या होगी?
  • अपना लक्ष्य पाने किए हम किन निवेश तरीको का उपयोग करेंगे जैसे स्टॉक खरीदना, रियल इस्टेट, सोना खरीदना, म्यूचुअल फंड आदि।
  • इमरजेंसी फंड के लिए हमें कितने रुपए की जरूरत होगी?
  • किस तरह हम सरकारी सुविधाओं के लिए लाभ उठा सकते है?
इस तरह से हम इस चौथे स्टेप में इन सारे सवालों के जवाब  स्पष्ट करने होंगे। जिससे हमारा लक्ष्य समय के साथ पूरा हो सके। हमे सारे पॉइंट्स पर विचार करके कम से कम रिस्क पर सुरक्षित तरीके से अपने लक्ष्य प्राप्त कर सके। इस तरह से अपने सारे सपनो को समय के साथ पूरी डिटेल प्लान बनना होता है।

5. फाइनेंशियल प्लानिंग को अमल में लाना :


प्लान तो बन गया है, लेकिन कोई कितना भी अच्छे से अच्छा प्लान बनाया हो लेकिन अगर उसे अमल में नहीं लाया तो वह किसी काम का नहीं रहता। उस प्लान पर एक्शन भी लेना जरूरी है। इसलिए इस प्लान पर अमल करने के लिए आपको कुछ अन्य तैयारिया भी करनी पड़ सकती है। 
  • बैंक अकाउंट या डीमैट अकाउंट खोलना, 
  • निवेश के अन्य तरीको के बारे में जानकारी लेना, 
  • एक्स्ट्रा इनकम पाने का तरीका ढूंढना, 
  • मेडिक्लेम या टर्म इन्श्योरेन्स खरीदना
  • म्यूचुअल फंड में SIP की  शुरुआत करना 
  • इनकम और होनेवाले खर्चे की जमाखर्ची के लिए नोटबुक बनना आदि

6. फाइनेंशियल प्लानिंग की प्रगति का विश्लेषण करना: 


अब तक हमने जो फाइनेंशियल प्लानिंग की है और उसे हम अमल में ला रहे है, तो हमे ये देखना है की फाइनेंशियल प्लानिंग किस तरह से काम कर रहा है। जैसे की हमने प्लानिंग में हमारी अपेक्षाएं थी, क्या उसी तरह वह सब कुछ हो रहा है या नही। कहा क्या सही हो रहा और क्या गलत हो रहा है इसकी समीक्षा करनी पड़ती है। जरूरत के मुताबिक कुछ बदलाव भी किए जाते है।  विश्लेषण करना एक तरह से हमारी प्रगति का आइना होता है। विश्लेषण के कई मायने हो सकते है, जैसे..

  • हम जो निवेश के रिटर्न की अपेक्षा कर रहे थे, क्या हमे उतना रिटर्न मिल रहा है?
  • क्या बचत की रिक्वायरमेंट के अनुसार बचत कर पा रहे है?
  • कौन सा निवेश का तरीका गलत लग रहा है?
  • क्या सब कुछ प्लानिंग की तहत हो रहा है?
  • हमारा रिस्क मैनेजमेंट ठीक है या नही?

इस तरह से विश्लेषण करके जो बदलाव करना उचित लगे उसे समय समय करते रहना चाहिए। नियमित रूप से प्लानिंग का एनालिसिस करते रहने से इसमें जो कमियां नजर आती है उसपर काम करना होगा। उसमे उचित बदलाव करने जरूरी हो जाते है। इसके साथ ही हमारे निवेश जानकारियां और जरूरी डॉक्यूमेंट्स को कही सुरक्षित जगह पर रखना जरूरी है। अगर इस प्लानिंग में कुछ गलत हो रहा है तो उसका उचित उपाय अमल में लाना चाहिए। अगर हमने अपना लक्ष्य पाने के लिए नई चीज का इंप्लिमेंट करते है तो उसे करने से पहले उसे जरूर जॉच ले ताकि कई गलती न हो सके। तो दोस्तो इस तरह से छे स्टेप बनाकर हम फाइनेंशियल प्लानिंग पर काम किया जाता है।

सारांश : फाइनेंशियल प्लानिंग इन हिंदी?

दोस्तो, यह इस पोस्ट में हम किस तरह से फाइनेंशियल प्लानिंग कर सकते है? इसके बारे में जानकारी ली। मुझे आशा है की ये पोस्ट आपको बहुत पसंद आयेगी। इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करे, ताकि आपके दोस्तो को भी इसकी जानकारी मिल सके। फाइनेंशियल प्लानिंग इन हिंदी? इस पोस्ट के बारे में आपके कोई प्रश्न या सुझाव हैं तो उन्हें कमेंट करके जरूर बताएं। इसी तरह के पोस्ट पढ़ने के लिए इस साइट पर जरूर विजिट करते रहे। Thank you 






 



 




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