Top 8 treding psycology tips in hindi
कई ट्रेडर्स को शेयर मार्केट में ट्रेडिंग साइकोलॉजी क्या होती है और वह ऐसे काम करती है ये पता भी नहीं होता। जिस वजह से वह ज्यादातर लॉस को ही बुक करते है।
शेयर मार्केट में अच्छा प्रॉफिट करने के लिए कई बातें जरूरी होती है। उनमें ट्रेडिंग साइकोलॉजी सबसे महत्वपूर्ण पहलू में से एक है। अधिकतर शेयर मार्केट में व्यापारी इस बात को ignour कर देते है। शेयर मार्केट में लॉस करने का ये प्रमुख कारण है।शायद आप नहीं जानते की लगभग 90% लोग ट्रेडिंग में इसी वजह से लॉस में रहते है। जो सफल ट्रेडर बनना चाहते है उसे व्यापार मनोविज्ञान में अपनी महारत हासिल करनी चाहिए।
प्रत्येक निवेशक को अपनी ट्रेडिंग मानसिकता को सुधारने की जरूरत है। व्यापारिक सौदे के दरमियान skill का 20%roll होता है, जब की treding psycology का 80% roll होता है। इससे आप को मालूम चल गया होगा की ये facter इतना जरूरी क्यों है।
लेकिन यहां सवाल आता है की ट्रेडिंग साइकोलॉजी क्या है और उसमे expert कैसे बने? इसकी सवाल का जवाब आपको इस पोस्ट में मिलनेवाला है। इसमें बताया गया है की लोग सफल ट्रेड लेने के बावजूद भी ट्रेडिंग की साइकोलॉजी की वजह से लॉस कैसे करवाते है, इसे बताया गया है। व्यापार विज्ञान में सफल बनवाने के लिए जरूरी स्टेप को भी बखूबी से बताया गया है। इसलिए ये पोस्ट आपके लिए helpful हो सकती है। इस सबसे ज्यादा जरूरी विषय की जानकारी देने के लिए मैंने ट्रेडिंग साइकोलॉजी क्या होती है ये आर्टिकल पेश किया है।
इससे पहले की मैं आपको ट्रेडिंग की मानसिकता के बारे मे विस्तारपूर्वक बताए। मैं आपको ट्रेडिंग के दौरान लोग किस तरह से लॉस करते है, वह बताना जरूरी समझाया हूं। इसके कई भावनिक पहेली होते है जैसे...
- Profit हो जाने के बाद भी ज्यादा का लालच करना।
- आपके ट्रेड के विपरित दिशा में मार्केट का moovment हो जाना।
- हद से ज्यादा प्रॉफिट की मानसिकता रखना।
- बड़ा लॉस हो जाने के बाद भी ट्रेड को एक्जीक्यूट न करना
- बिना सोचे समझे भावनिक आधार पर गलत निर्णय लेना।
- Loss cover करने के चक्कर में हद से ज्यादा risky ट्रेड लेना।
- शेयर मार्केट से जल्दी अमीर बनने के ख्वाब देखना।
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग साइकोलॉजी क्या है, इन हिंदी
ट्रेडिंग साइकोलॉजी (व्यापार मानसिकता) का मतलब होता है, की हम व्यापार के दरम्यान किस तरह की भावना रखते है। अब आप सोचेंगे की ट्रेड लेने का मानसिकता से क्या संबंध है।
दोस्तो, हम जब भी ट्रेड लेते है तो हम दिमाग से सोचकर ही कोई इतने तक पहुंचते है। ज्यादातर लोग डर और लालच के अधीन होकर जहा नुकसान नहीं होना था वहा भी नुकसान करते है। शायद आपने भी इसे अनुभव किया होगा। ये सब अपनी भावनाओं को काबू ना रखने के कारण होता है।
जब कोई ट्रेडिंग की साइकोलॉजी के बारे में बात करते है तो ट्रेड लेने के दौरान अपने दिमागी भावनाओं के बारे में बात करते है। उस समय हमारा दिमाग किस तरह की भावना रखता है, उसी के आधार पर हम कोई भी ट्रेड लेते है और एग्जिट करते है। अगर ट्रेडिंग में गलत भावना रखकर निर्णय लिया गया तो लॉस होना निश्चित है। हो सकता है की आपका profit भी loss में convert हो जाए।
सबसे आश्चर्य वाली बात ये है की आपको एक successful treder बनने को बाधाओं में सबसे प्रमुख होते है डर और लालच। ये आपकी प्रगति में शत्रुओं की तरह बाधा उत्पन्न करते है। इन्ही के कारण लगभग 90% लोग ट्रेडिंग में लॉस करते है।
कई लोग दूसरे अन्य ट्रेड को लेने के लिए पहले ट्रेड को exit करते है। वही पर कुछ लोग ज्यादा लालची होकर ज्यादा प्रॉफिट के लिए अपने व्यापार को exit नहीं करते। कुछ तो ऐसे होते है,जो ट्रेड लेने के बाद अगर प्राइस थोडासा विपरित जाते ही एग्जिट हो जाते है।
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क्या यह सफल ट्रेडर की निशानी है? ये सब लॉस में जाने के संकेत है। इन्ही से बचने के लिए हर व्यापारी को अपनी मानसिकता पर कंट्रोल करना आना चाहिए।
मैं तो कहता हूं की आप अपनी ट्रेडिंग रणनीति बनाकर दुनिया सफर व्यापारी बन सकते है। सिर्फ एक शर्त है की आपको अपने emotions पर कंट्रोल करते आना चाहिए। भले आपने कितना ही अच्छा ट्रेड लिया हो, अगर आपकी मानसिकता विचलित है तो आप इसमें भी नुकसान हो कराएंगे।
आपने कई बार देखा होगा, जब आप कोई buying tred को sell करते है उसके कुछ ही समयोपरांत वही share या indices का price बड़ी ऊंचाई छुता है। अगर अपने आपसे इसका सवाल पूछेंगे, तो आपका अंतर्मन भी इसकी गवाही देगा की मुझे उस शेयर का price गिर जाने का डर था, इसलिए उसको sell कर दिया। इससे आपको पता चल गया होगा की डर और लालच हमारे loss करवाने या profit को कम करने में कितने सहायक होते है। इसलिए इनसे बचना जरूरी हो जाता है।
अगर आप अनुशासित तरीके से सही मानसिकता के आधार पर ट्रेडिंग नही करेंगे तब तक आप शेयर मार्केट में रेगुलर profit नहीं करेंगे।
किसी मनोवैज्ञानिक समस्या को जान लेना या पहचान कर लेना अलग बात है। और उसमे जरूरत के हिसाब से सुधार या बदलाव करना अलग बात है। ज्यादातर ट्रेडर्स को पता होता है की डर और लालच हमारे दुश्मन है। लेकिन देखा गया है की बहुत से व्यापारी उसमे सुधार नहीं करते या उसे काबू मे नहीं कर पाते। चलिए अब जानते है की ट्रेडर्स को साइकोलॉजी की वजह से क्या क्या समस्याएं आती है और उससे कई ऊबर सकते है। नीचे ट्रेडिंग मानसिकता के वजह से जो स्थितियां उत्पन्न हो जाती है, उन्हे सरलता से बताया गया है। ठीक उसके नीचे उसका समाधान बताया गया है, जिसे आप ध्यान से पढ़कर उनको फॉलो करना है।
1. Profit हो जाने के बाद भी ज्यादा का लालच करना
बहुत बार हमे अच्छा प्रॉफिट हो जाता है फिर भी अपनी position को एक्जीक्यूट नहीं करते। ये अक्सर ज्यादा लालची हो जाने की वजह से होता है। हम हो चुके प्रॉफिट से समाधानी नही रहते और ज्यादा प्रॉफिट कमाने के लिए ट्रेड में बने रहते है। जिससे जो प्रॉफिट बन चुका होता है उससे भी हात धोना पड़ता है। या उसमे कमी आ जाती है।
समाधान : हमेशा आपको चाहिए की जब भी ट्रेड लेना हो किसी परफेक्ट stretagy के आधार लेना चाहिए और उसी आधार पर sell भी करना चाहिए। अगर बीच में उस शेयर का price आपके ट्रेड के खिलाओ जाता है तो उससे घबराए नहीं। बल्कि अपनी strategy पर भरोसा करके बने रहे। जब उस strategy में एक्जीक्यूट का signal मिलता है तब जाकर एग्जिट होना सही रहेगा।
2. आपके ट्रेड के विपरिड दिशा में मार्केट का moovment हो जाना :
ये समस्या हर ट्रेडर के साथ होती है। अधिकतर लोगों को लगता है की मेरे ट्रेड लेते ही मार्केट प्राइस विपरित दिशमे जाने लगता है। लेकिन ऐसा नही है, क्यों की ये मार्केट है और उसका price हमेशा ऊपर नीचे होता ही रहता है। वह सीधे एक ही दिशा में नही चलता।
समाधान : जैसा कि मैंने ऊपर बताया है आपको अपनी स्ट्रेटजी के आधार पर ट्रेडकी buying या selling करनी है। दूसरी बात आपने जितना पैसा मार्केट में लगाया है उस हिसाब से आप कितना लॉस ट्रेड के अंदर उठा सकते है उसे तय कर लेना है।
मान लीजिए आपने 10000 रुपए लगाकर कोई शेयर्स खरीदे है। अब आपको तय करना होगा की अगर मुझे लॉस होता है तो लोगमैं कितना परसेंट लॉस उठाने के लिए तैयार हु। अगर आप 2% लॉस ट्रेड के अंदर उठाना सही समझते है तो उस हिसाब से आपका प्रॉफिट ज्यादा लेना better रहेगा। लॉस के पर्सेंटेज से प्रॉफिट का पर्सेंटेज ज्यादा रखे। ताकि आप ओवरऑल प्रॉफिट में रहे।
3. हद से ज्यादा प्रॉफिट की मानसिकता रखना :
अक्सर लोग बाहरी बातों को सुनकर अपनी मानसिकता बदल देते है। जैसे व्यक्ति को एक दिन में पचास हजार का प्रॉफिट हो गया। किसी एक ट्रेडर को एक दिन में एक लाख का मुनाफा हो गया। इस तरह की खबरों से प्रभावित होकर सामान्य ट्रेडर भी वही अभिलाषा लेकर ट्रेड करते है।
लोग इसके पीछे का लॉजिक नही समझते की अगर किसी ने एक दिन में एक लाख का मुनाफा किया है तो उसने ढाई करोड़ मार्केट में लगाया था और उसका ट्रेड सही गया इसलिए उसे एक दिन में एक लाख का प्रॉफिट हुआ। लोगों के पास दस हजार भी नहीं होते और एक लाख के प्रॉफिट का ख्वाब देखने लग जाते है।
समाधान : शेयर मार्केट में हर व्यापारी को सिर्फ उतने ही प्रॉफिट की आशा करनी चाहिए कितना रियलिस्टिक हो। किसी भी बात में ज्यादा का लालच में भलाई नहीं होती।
जितना प्रॉफिट मिलता है उसमे समाधानी रहना, समय के साथ समझोता करना सफल ट्रेडर्स की निशानी होती है। कई बार हमे अच्छा मुनाफा हो जाता है और कई बार हमे न चाहते हुए भी लॉस में एक्जीक्यूट करना पड़ता है। ये मानसिकता कभी नहीं रखनी चाहिए की कल मुझे 10% का मुनाफा हुआ तो आज भी 10% मुनाफा लेकर ही जाऊंगा। हमेशा याद रखे, ये वाली psycology आपका लॉस करवाती है।
4. बड़ा लॉस हो जाने के बाद ही ट्रेड को एक्जीक्यूट करना:
हमेशा अधिकतर लोग कम प्रॉफिट में भी सौदा काट लेते है। और नुकसान होने के बावजूद भी अपने सौदे को एक्जीक्यूट नहीं करते। इसके पीछे लोगों की ये भावना होती है की लोग मार्केट की moovment बदलने की राह देखते है। जिससे बड़ा लॉस कर लेते है।
समाधान : इस विषय में मैने ऊपर भी बताया है। आपको लॉस होनेपर अपना जोखिम तय करना है की इतने लॉस से ज्यादा का लॉस नहीं लूंगा और अपनी position को एग्जिट कर दूंगा। ऐसा कर लेने से आपका लॉस एक सीमा में रहेगा। इसका दूसरा सॉल्यूशन ये है की आपको स्टॉप लॉस का उपयोग सही तरीके से करना है। हमेशा अपनी एक capacity तय करनी चाहिए की मैं कितना लॉस झेल सकता हूं।
स्टॉप लॉस को ऐसे प्राइस पर लगाए की वह आसानी से हिट न हो पाए। ज्यादा नजदीक का स्टॉप लॉस भूलकर भी नही लगाएं। इससे भी आप लॉस को कम कर सकेंगे।
5. बिना सोचे समझे भावनिक आधार पर गलत निर्णय लेना :
कई सारे व्यापारी ऐसे भी होते है जो भावनावश गलत सौदा कर बैठते है। भावना के अधीन होकर ट्रेड लेना जोखिमभरा होता है। किसी ट्रेड में अगर हमे बड़ा लॉस हो जाता है हम उस नुकसान को cover करने के लिए रिस्की या emotionaly ट्रेडिंग करने लग जाते है, जो सिर्फ और सिर्फ नुकसानदायक ही होता है।
समाधान : हम जब भी शेयर मार्केट में व्यापारी सौदे करते है तो किसी लॉजिक के अनुसार करने चाहिए। ट्रेड को कब लेना है और कब एग्जिट करना है ये सब स्ट्रेटजी पर निर्धारित होना जरूरी है। आप जो भी स्ट्रेटजी का उपयोग करते है उसमे आपको clear signal प्राप्त होने पर लेना है या फिर एग्जिट करना है।
6. Loss cover करने के चक्कर में हद से ज्यादा risky ट्रेड लेना :
शायद आपको मालूम होगा की कई लोग बिना अनुशासन के ट्रेड करने के कारण अपना पैसा गवांते है। उसे पुनः प्राप्त करने के लिए डे ट्रेडिंग,ऑप्शन ट्रेडिंग या फिर रिस्की स्टॉक्स में पैसा लगा डालते है। जिससे उन्हें और भी नुकसान झेलना पड़ता है।
समाधान : सबसे पहली बार ये है की आपको जो नुकसान हो चुका है उसे भूल जाना है। जब तक उसे दिमाग में रखेंगे आप सही से ट्रेडिंग में प्रॉफिट नहीं करा सकेंगे। आप बिलकुल न्यूट्रल होकर नए से ट्रेडिंग करने की जरूरत है। दूसरी बात आपने अब तक जो गलतियां की थी, उनसे सबक लेकर उन गलतियों को ना दोहराए। जब तक गलतियों से नहीं सीखेंगे, आप लॉस करते रहेंगे।
7. शेयर मार्केट से जल्दी अमीर बनने के ख्वाब देखना :
कई लोगों के दिमाग में जल्दी अमीर बनने की धुन सवार होती है। इसीलिए वह बिना सोचे, बिना सीखे गलत तरीके से ट्रेडिंग करते है जिससे बहुत सारा wealth गवा बैठते है।
समाधान : शेयर मार्केट से अमीर तो बना जा सकता है पर इसके लिए समय लगता है। कोई भी रातोरात अमीर नहीं बन सकता। आज तक जो लोग शेयर मार्केट से अमीर बने है, उन्होंने कई साल तक शेयर मार्केट में समय बिताया है तब जाकर वह अमीर बने है। इसलिए ट्रेडिंग के दौरान हर समय बड़े प्रॉफिट की आशा रखना गलत है।
जब हमे ऊपर के माले पर जाना है तो सीढ़ी से स्टेप बाय स्टेप करके जाना होता है। अगर छलांग मारकर माले पर जाने की कोशिश करेंगे तो उल्टे मुंह गिर पड़ेंगे। शेयर मार्केट में भी यही सिद्धांत पर चलकर नियमित छोटे छोटे प्रॉफिट बनाकर अमीर बना जा सकता है।
8. गलत मानसिकता की वजह से गलत ट्रेड लेना
शेयर मार्केट में कई ऐसे begginers होते है जो जल्दबाजी में गलत ट्रेड ले बैठते है। जहा buy करना होता है वही sell कर डालते है। जिस share या indices में ट्रेड नहीं करना होता वही कर डालते है। जिससे पैसे का लॉस हो जाता है। देखा गया है की जिस दिन हमारी मानसिकता बिगड़ी होती है उस दिन हम लॉस ही करते है।
समाधान : शेयर मार्केट में सोचविचार करके सौदे करने चाहिए। लेने लायक ट्रेड ना हो तो wait करने की तैयारी रखना आवश्यक है। जब भी कोई व्यापारी सौदा लेना हो हमेशा अपने आप से कुछ सवाल पूछने चाहिए।
- क्या मैं सही stretagy पर ट्रेड ले रहा हूं।
- क्या मैं सही समय पर entry या exit कर रहा हूं
- मैं जिस share या indices में ट्रेडिंग करना चाहता हूं क्या वह सही है।
- क्या मैं सही मानसिकता के साथ व्यापारी सौदा कर रहन हूं।
- क्या मेरा risk to reward retio ठीक है।
आप सोचकर देख सकते है की ऐसा क्यू होता है। सुबह सुबह किसी से उलझ गए, या कोई बुरी खबर मिलती है तो हमारा mood खराब हो जाता है जिसके कारण हमारे दिमाग के सोचने का ढंग बदल जाता है। यही हमारे लॉस का प्रमुख कारण होता है।
FAQ'S : Treding psycology क्या है? और शेयर मार्केट में प्रॉफिट बनाने के लिए क्यों जरूरी है?
Q. ट्रेडिंग में मनोविज्ञान को कैसे समझे?
Ans : ट्रेडिंग मनोविज्ञान निवेशक को सही समय में उचित निर्णय लेने में मदद करता है। जिससे निवेशक को प्रॉफिट ज्यादा होता है और नुकसान की मात्रा कम होती है।
Q. Treding psycology क्या है?
Ans : Treding psycology मन की एक मानसिक स्थिति है जो शेयर बाजार के ट्रेडिंग के दौरान निवेशक अनुभव करता है। जैसे शेयर का भाव गिर जाने से डर लगना, बढ़ते भाव देखकर लालच आ जाना। कब कौनसा ट्रेड लेना है, इस भावना का मन में उठाना।
Q. Treding psycology में एक्सपर्ट कैसे बने?
इसके दो पहलु है जो निवेशक को मालूम होने चाहिए। एक है जोखिम उठाने की तैयारी रखना, और दूसरा है लॉस होने को स्वीकार करना।
Q. ट्रेडिंग सीखने के लिए क्या करना पड़ता है?
Ans : ऑफलाइन या ऑनलाइन किताबें पढ़कर सिख सकते है। अगर आपके पास पर्याप्त समय है तो आप ट्रेडिंग इंस्टीट्यूट को join कर सकते हैं। आपको कई ऐसे इंस्टीट्यूट उपलब्ध हो सकते है जो शेयर मार्केट की ट्रेडिंग को सीखा सकते है।
Q. शेयर बाजार में साइकोलॉजी को कैसे नियंत्रित करे?
Ans : ट्रेडिंग के दौरान बिकट स्थिति आने पर उचित समय में उचित निर्णय की क्षमता विकसित करने के लिए आपको नियम बनाकर उसका पालन करने की आवश्यकता है। साथ ही कब ट्रेड लेना है, कब एग्जिट करना है और कब तक बने रहना है? इसके लिए जोखिम और सहनशीलता के आधार पर सही दिशानिर्देश निर्धारित करे। रिस्क और लाभ लक्ष्य को सोच विचार करके निर्धारित करे।
निष्कर्ष : Treding psycology क्या है? और treding psycology क्यों जरूरी है?
अगर आपने ये पोस्ट पढ़ लिया तो आप समझ गए होंगे की Treding psycology क्या है? और शेयर मार्केट में प्रॉफिट बनाने के लिए क्यों जरूरी है? ये व्यापारिक मानसिकता ट्रेडिंग में success पाने के लिए अति आवश्यक होती है। मुझे आशा है की ये पोस्ट आपको जरूर पसंद आई होगी। इसीलिए मैं चाहता हूं की ये पोस्ट अपने दोस्तो, रिश्तेदारों के साथ जरूर शेयर करे। अगर आपकी कोई suggestion है तो comment करना ना भूले। Thanks for reading my post.
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