ट्रेडिंग साइकोलॉजी में एक्सपर्ट कैसे बने? 7 टिप्स इन हिंदी
ट्रेडिंग साइकोलॉजी क्या है? ट्रेडिंग साइकोलॉजी कैसे काम करती है? और ट्रेडिंग साइकोलॉजी में एक्सपर्ट कैसे बने? अगर आप इसी topic के बारे में जानना चाहते है, तो ये पोस्ट खास आपके लिए ही है। कई लोग शेयर मार्केट में ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग करते हैं, लेकिन उनका पोर्टफोलियो हमेशा लाल ही दिखता है, जब की हम सही stategie का उपयोग करते रहते है। ऐसा सिर्फ इसलिए होता है क्यों की हमारी ट्रेडिंग मानसिकता ठीक नहीं होती। हम बहुत हद तक भावनाओ के आधार पर ट्रेडिंग करते है, और भावनाओं के आधार पर ही लॉस को बुक करते है। जब हमारा पैसा मार्केट में रिस्क पर लगा रहता है तो हमारी भावनाएं उफान पर रहती है। इन पर काबू पाने लिए हमे कुछ जरूरी कदम उठाने पड़ते है, कुछ rools को follow करना पड़ता है। आज इसी बारे में बात करेंगे, ताकि आप ट्रेडिंग से अच्छा खासा पैसा कमा पाए।
treding psycology in hindi
जब हम ट्रेडिंग करते है तो इसमें loss या profit होने के पीछे कई सारी बाते काम करती है। लेकिन इन सारे पहेलुओ में से ट्रेडिंग साइकोलॉजी सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। क्यों की ज्यादातर लॉस व्यापार मानसिकता ठीक न होने की वजह से होता है। लोग ट्रेडिंग तो करते है पर इसी को अधिकतर ignour करते है। जब की सही ट्रेडिंग मानसिकता के बगैर सफल ट्रेडर नही बना जा सकता। अगर आपको ट्रेडिंग में सफलता हासिल करनी है, आपके पोर्टफोलियो को green करना है तो आपको इस पर काम करना अति आवश्यक है।
treding psycology क्या है? इसका हिंदी में मतलब होता है, व्यापार मानसिकता। जब हम शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करते हैं तो आपके दिल में कई तरह को भावनाए उत्पन्न होती रहती है।
अपने निजी जीवन में भी ये भावनाएं काम करती रहती है। कोई अच्छी खबर सुनकर हम खुश हो जाते हैं तो किसी दुख भरी खबर होकर हम दुखी हो जाते हैं। कोई हमें कड़वी बाते बोलता है तो हम क्रोधित हो जाते हैं कोई हमारी तारीफ करता है तो हम मुस्करा देते है। ये हमारी भावनाओ की वजह से होता है। यही भावनाएं ट्रेडिंग में हमारे खिलाप काम करती है। इनसे निजात पाने के लिए कुछ पॉइंट्स आपको इस पोस्ट में बताए गए है।
जब हम ट्रेडिंग करते है तो हमारा पैसा मार्केट मैं लगा होता है। कोई भी अगर शेयर मार्केट में पैसा लगाता है, तो उसका पैसा रिस्क पर होता है। मतलब जो पैसे हमने ट्रेडिंग में लगाए है, उस पैसों का लॉस होने की ज्यादा संभावना होती है। इसलिए ट्रेडिंग में पैसे खोने का डर और ज्यादा पैसे कमाने का लालच ये दोनो ही मानसिकताएं ट्रेडर्स के लिए बहुत ज्यादा घातक होती है। इसलिए सफल ट्रेडिंग करने के लिए, एक लाभदायक व्यापारी बनने के लिए आपको ट्रेडिंग मनोविज्ञान की कला में अच्छी महारत हासिल करने की जरूरत पड़ती है। इसलिए मैने ट्रेडिंग मनोविज्ञान के महत्वपूर्ण points को discuss किया है। इसलिए इस पोस्ट में शुरू से अंत तक बने रहे।
ट्रेडिंग के दौरान यही भावनाए हम पर हावी हो जाती है। इसी कारण हम अधिकतर गलत फैसले लेने पर मजबूर होते है। यही गलत फैसले हमारा लॉस करवाते है। अगर आप ट्रेडिंग करते है तो इसे आपने भी अनुभव किया होगा।
जैसा कि आप जानते है हर व्यक्ति के अंदर खुशी, गम, डर, लालच, क्रोध, आशाएं, दुखी होना, रोना, हंसना इस तरह की कई भावनाएं उत्पन्न होती रहती है। इनमे से पैसे को खोने का डर और ज्यादा प्रॉफिट कमाने का लालच ये दोनो ही भावनाए ट्रेडिंग में ज्यादा हावी हो जाती है। इसलिए इन्हे mantain करना जरूरी हो जाता है।
ट्रेडिंग साइकोलॉजी की जरूरत क्या है?
शेयर नजर में ट्रेडिंग करते समय दिन में कई बार आपका mood वर्ष होता है और कई बार आपका mood bullish होता है। जब की मार्केट इतना जल्दी जल्दी moovment नही बदलती। अपना मूड बार बार बदलने के पीछे आपकी भावनाएं काम करती है। सफल ट्रेडर बनने के लिए इन्ही भावनाओ को काबू करने की आवश्यकता होती है। इसमें ऐसी कोई आश्चर्य की बात नहीं है की एक सफल व्यापारी बनने के लिए ट्रेडिंग में बहुत बड़ी बाधाओं का काम करते है। इसमें नुकसान हो जाने का डर आपके होनेवाले प्रॉफिट को भी रोक सकता है। आपने किसी अच्छे ट्रेड को पकड़ा है लेकिन उसकी कीमत जैसे ही आपके खिलाप जाने लगती है, तो आप बहुत ज्यादा विचलित हो जातें है। आपके मन में डर समाहित हो जाता है, और आप उस ट्रेड से नुकसान लेकर तुरंत exit भी हो जाते है। लेकिन जैसे ही आप एग्जिट हो जाते है, आप को उसी ट्रेड में आपके ट्रेंड के अनुरूप उछाल देखने को मिलता है। एक बहुत बढ़िया ट्रेड आप से छूट जाता है। जहा आपको प्रॉफिट होना था आपको नुकसान हो जाता है। ये हर नए और अनसीखे ट्रेडर्स के साथ होता रहता है। ये सब गलत ट्रेडिंग मानसिकता की वजह से होता है। इसलिए आपको ट्रेडिंग साइकोलॉजी में महारत हासिल करने की जरूरत पड़ जाती है। अगर इस मानसिकता आपकी पकड़ में आ गई तो लगभग आपकी जीत पक्की हो जाती है।
शेयर मार्केट क्या है और ट्रेडिंग साइकोलॉजी क्या है इसे सीखने की और इसमें एक्सपर्ट होने की आवश्यकता इसलिए भी पड़ती है, क्यू की कई लोग इसी के कारण गलत ट्रेड में एंट्री ले लेते है। या फिर किसी गलत ट्रेड में ज्यादा समय तक बने रहते है। जब अच्छे ट्रेड में रहते है तो जो प्रॉफिट हो चुका है, कही उस प्रॉफिट को गवा ना दे इसलिए ट्रेड से बाहर हो जाते है। अगर इस तरह के गलत ट्रेडिंग से बचना है तो आपको इस पोस्ट में बताए गए पॉइंट्स को जरूर अप्लाई करना चाहिए। आप दुनिया में अच्छी से अच्छी ट्रेडिंग स्ट्रेटजी बना सकते है लेकिन उसे अनुशासित तरीके से लाइव ट्रेडिंग में सही मानसिकता के साथ ट्रेड नही करते तो सही ट्रेडिंग रणनीति होने के बाद भी आप लॉस ही करेंगे।
सही समय पर एंट्री और सही समय पर एग्जिट आप तभी ले पाएंगे जब आपकी ट्रेडिंग मानसिकता सही होगी। चलिए, अब इसी मानसिकता को विकसित करने के लिए जरूरी पॉइंट्स की जानकारी लेते है।
ट्रेडिंग साइकोलॉजी में एक्सपर्ट कैसे बने?
1. लॉजिक के आधार पर ट्रेडिंग करे :
दोस्तों जब हम ट्रेड लेते हैं तो आपको ट्रेड लेने से पहले पता होना चाहिए की मैं क्यों ट्रेड ले रहा हूं। मैं किस आधार पर tred ले रहा हूं। क्या मैं इस ट्रेड में प्रॉफिट बना पाऊंगा। इनका जवाब अगर आपकी फेवर में है तो आप ट्रेड ले सकते है। इस तरह का आपके पास कोई तो लॉजिक होना चाहिए। अपनी strategy के मुताबिक लोगों का लॉजिक अलग अलग होता है। जैसे अगर RSI इस प्वाइंट के उपर जायेगा तो मैं ट्रेड लूंगा और RSI इस प्वाइंट के नीचे आएगा तो मैं एग्जिट करूंगा। Mooving avarage किसी दुसरी mooving avarage को cross करेगी तो मैं ट्रेड लूंगा या एग्जिट करूंगा।फंडामेंटल या टेक्निकल एनालिसिस के आधार पर आप अपने मुताबिक लॉजिक रख सकते है। अब सवाल आता है की इससे क्या होगा? इससे आपको एंट्री और एग्जिट कहा लेना है, ये पता चल जायेगा। लेकिन आपको इस डिसिप्लिन का हमेशा पालन करना पड़ेगा।
इसका एक फायदा ये भी होगा की आप बिना लॉजिक के किसी भी ट्रेड में एंट्री नही लेंगे। जब गलत ट्रेड में एंट्री नही लेंगे तो आप डर और लालच को कई हद तक काबू में कर पाएंगे। जिससे आपका लॉस mentain रहेगा, और बड़े प्रॉफिट को भी पकड़ पाएंगे। इसलिए लॉजिक के आधार पर entry exit करना ट्रेडिंग साइकोलॉजी के लिए फायदेमंद माना गया है।
2. learning पर फोकस करना :
देखा गया है, अधिकतर लोग जल्दी अमीर बनना है इस चक्कर में learning पर अपना फोकस ही नही करते। अपने आप को ट्रेडिंग के काबिल बनाने के लिए शैक्षिक सामग्री को पढ़ना और ट्रेडिंग से जुड़ी जानकारी हासिल करना आपको इसमें सफल बना सकता है। शेयर मार्केट में व्यापार के दौरान किस किस तरह की भावनाएं आपको प्रॉफिट होने से रोकती है या ज्यादा लॉस का कारण बनती है उसे लाइव मार्केट में छोटे अमाउंट से ट्रेडिंग करके अच्छी तरह से समझा जा सकता है। एक तरह से ये भी लर्निंग करना ही है। इसलिए ऑनलाइन या ऑफलाइन मार्केट का अभ्यास करना आपके लिए बहुत जरूरी होता है। शेयर मार्केट में अधिकतर लोग थोड़ा बहुत जानकारी होने पर खुद को इसमें expert समझने लगते है, जबकि वह शेयर बाजार को 5%, से 10% ही जानते है। इसलिए शेयर मार्केट क्या है और कैसे सीखे हिन्दी में, इस पोस्ट को जरूर पढ़ना चाहिए। आप जो कार्य करनेवाले है उसके बारे में जितनी जानकारी मिले उतनी लेते रहना ही अकलमंद का काम होता है।
ट्रेडिंग की शिक्षा के लिए डेमो खाता में ट्रेडिंग करके बिना जोखिम उठाए उन भावनाओ को समझ पाएंगे। आपका ट्रेडिंग एक्सपीरियंस आपको मानसिक रूप से मजबूत बनाने में सहायक हो सकता है।
3. स्टॉपलॉस और टारगेट का उपयोग :
ट्रेडिंग साइकोलॉजी को beat करने का यह सबसे असरदार आसान तरीका है। आपकी ट्रेडिंग स्ट्रेटजी में स्टॉपलॉस लगाने की वजह से आपको पहले ही पता होगा की इस ट्रेड में आपको कितना लाभ या नुकसान होनेवाला है। जिससे आपको ज्यादा का नुकसान होने का डर या ज्यादा प्रॉफिट का लालच नही होगा और आप आसानी से गलत मानसिकता से बच जायेंगे। बस, इसके लिए अपनी स्ट्रेटजी के अनुरूप सही जगह स्टॉपलॉस और टारगेट लगाने को जरूरत है। अगर आप ये सही तरह से कर लेते है तो आपको सफर ट्रेडर बनने से कोई नही रोक सकता। एक बार जब आप स्टॉप लॉस और टारगेट सेट कर लेते है तो उसे किसी भी situation में बदलना नही है। इन दोनो tools को जब आप set कर लेते है तो आपको कन्फर्म हो जाता है की आपका लॉस होगा तो कितना होगा और प्रॉफिट होगा तो कितना होगा। इससे हमे डर होगा ना लालच होगा। ट्रेडिंग करते समय स्टॉपलॉस ऑर्डर और टारगेट को लगाना ट्रेडिंग साइकोलॉजी के साथ साथ जोखिम प्रबंधन का एक हिस्सा होता है। अपने जोखिम को सीमित करने का ये महत्वपूर्ण साधन है।
4. अपनी स्ट्रेटजी की बैक टेस्टिंग करना :
जब तक आप अपनी चुनी हुई स्ट्रेटजी को लेकर आश्वस्त नहीं रहेंगे, तब तक आप सही मायने में प्रॉफिट नही बना पाएंगे। आपको ट्रेडिंग के दौरान घबराहट महसूस होगी, लॉस होने का डर बना रहेगा। आप ट्रेड में या तो बीच में ही छोड़ देंगे या फिर लॉस उठाकर बाहर हो जायेंगे। लेकिन बैक टेस्टिंग करने के बाद आप आश्वस्त हो जायेंगे की ये स्ट्रेटजी सही में work करती है या नही। ये रणनीति कौनसी स्थिति में फेल होती है ये भी back testing से आपको पता चल जायेगा। अपने डर को कम करने का ये बहुत बढ़िया साधन है।
आप चाहे तो विशेष रूप से डिजाइन किए गए सॉफ्टवेयर से या मैनुअली अपनी स्ट्रेटजी की back testing कर सकते है। इसमें अपनी पसंदीदा रणनीति में इंडिकेटर्स की पहचान या उसकी सटीकता मालूम की जा सकती है। इस तरह बैक टेस्टिंग करने पर लिए हुए ट्रेड पर आपको भरोसा होगा, डर या लालच बहुत हद तक कम हो जायेंगे।
5. नुकसान स्वीकार करने के लिए तैयार रहे:
शेयर मार्केट में आपको सफल ट्रेडर बनना है, तो एक बात आपको जाननी चाहिए और स्वीकार करनी चाहिए की आप कुछ ट्रेड में पैसे खो सकते है। ये हर दूसरे ट्रेड में भी हो सकता है। देखा गया है की लोग हार को या नुकसान को स्वीकार ही नही करते। वह तो यही सोचते है की मैं कैसे गलत हों सकता हूं। इसी वजह से वह अपनी भावनाओं में भटक जाते है और खुदका बड़ा नुकसान करवा लेते है। बहुत बार हम गलत ट्रेड ले लेते है, जिससे हमारा नुकसान भी होता है, लेकिन हम जब तक हमारी गलती काबुल नही करेंगे तब तक आप उस गलत ट्रेड में बने रहेंगे और लॉस को बड़ा करेंगे। यही गलती हमारे लिए घटक हो जाती है। इसलिए नुकसान को स्वीकार करने के लिए हमेशा तैयार रहे, भले ही आप कितने ही एक्सपर्ट क्यों ना हों।
आपकी स्ट्रेटजी भले ही सबसे अच्छी ही क्यू ना हो, आपने कितनी ही बैकटेस्टिंग क्यू ना की हो, लेकिन फिर भी आपको लॉस को स्वीकार करने के लिए तैयार रहना होगा। कोई भी एक व्यक्ति या टीम हमेशा जीतती नही है और हमेशा हारती भी नही है। बड़ी से बड़ी क्रिकेट का संघ भी छोटे संघ से भी हार जाता है। इसे आप universal low भी समझ सकते है। जब एक बार आप इसे स्वीकार कर लेते है तो तुम्हारे लिए ट्रेडिंग करना बहुत आसान हो जाएगा।
यदि आपका पिछला tred नुकसान में गया तो उसी के बारे में दुखित होने की बजाय उस ट्रेड से सिखना चाहिए की मैने क्या गलत किया? और पिछले नुकसान को भूलकर उससे हमारी गलती को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। तुम्हे पिछली हार के चलते सोचना चाहिए को मैने क्या गलत किया? मेरी कौनसी अवधारणा थी जो गलत साबित हुई? मैं इसे कैसे सुधार सकता हूं? अब आप इसके लिए कौन से अलग तरीके का उपयोग करेंगे? हमेशा याद रखिए, ट्रेडिंग में हुई हर हार हमे सीखने और बेहतर बनने का अवसर प्रदान करती है। इसलिए जितने के लिए हार भी जरूरी होती है।
जो ट्रेडर पिछली हार को दिमाग में बिठा लेता है और उसे recover करने के लिए मानसिकता को बिगड़ लेता है वह अगले ट्रेड खराब साइकोलॉजी के कारण खराब ट्रेड लेकर नुकसान करता रहता है। इसलिए अपनी साइकोलॉजी को अच्छी स्थिति में रखने के लिए पिछले नुकसान को स्वीकार कर भूलकर इससे सीखने की आवश्यकता होती है। पिछली हार को भूलकर, उससे सीखकर अगली जीत के लिए तैयार रहना चाहिए। आपकी एक हार आपकी ट्रेडिंग जाने का एक छोटा सा हिस्सा होता है और एक हर होने से आप पूरी तरह नहीं हारते इसलिए एक हार अगली बड़ी जीत का कारण बनाइए।
6. अपनी हैसियत से ट्रेडिंग करें :
जो लोग अपनी हैसियत से ज्यादा बड़ा ट्रेड लेते है या बड़ा lot size लेते है, उन्हे हमेशा नुकसान का सामना करना पड़ता है। ऐसा इसलिए होता है, क्यो की उन्हें हैसियत से बड़ा लॉस देखने की उनमें capability नहीं होती। यहां मैं एक example देना चाहूंगा। मान लेते है किसी एक व्यक्ति की मासिक सैलरी 15,000 है, लेकिन उसके पास 1 लाख की सेविंग है और उसने वह सारे पैसे ज्यादा lot लेकर ट्रेडिंग में लगा दिए। लेकिन मार्केट ने कैसे ही 15% का विपरीत moovment दे दिया, जो की हो सकता है, आपका 15,000 का नुकसान हो जायेगा। यही 15,000 रुपए आपकी एक महीने की सैलरी है तो आपने एक महीने की कमाई एक ही ट्रेड में गवाई, को आपकी हैसियत के मुताबिक बहुत ज्यादा है।
इस तरह से बड़े lot size लेने पर थोड़ा सा विपरीत मूवमेंट भी आपका बहुत बड़ा लॉस कर सकती है। इससे आपका माइंडसेट गड़बड़ हो जायेगा आपको पैसे खोने का डर लगने लगेगा। जिससे आप उस ट्रेड में से लॉस बुक करके निकल जायेंगे। हैसियत के अनुसार ट्रेडलीन से आपकी ट्रेडिंग साइकोलॉजी maintain रहेगी। आपको ज्यादा डर या लालच नही रहेगा।
7. कर्जा या लोन लेकर ट्रेडिंग करने से बचे :
कई लोगों को जैसे कुछ प्रॉफिट दिखने लगता है, उन्हें लगने लगता है की अब मुझे करोड़पति बनने से कोई रोक नहीं सकता। वह ओवर कॉन्फिडेंट हो जाते है, और बिना सोचे समझे बैंक से या किसी से loan या उधार लेकर ट्रेडिंग करते है। जब वह ट्रेडिंग करते है तो उनके उपर एक तरह का दबाव सा रहता है, जैसे अगर मुझे लॉस हुआ तो उधार या लोन के पैसे मैं कैसे चुकाऊंगा? मैं उन्हें क्या जवाब दूंगा? इस तरह का स्ट्रेस उनमें बना है, इसलिए कभी भी लोन लेकर ट्रेडिंग करने से बचे। इससे ट्रेडिंग साइकोलॉजी बिगड़ जाती है, जो नुकसानदायक होती है। यदि शेयर मार्केट से करोड़पति बनना है तो इससे बचने की जरूरत है
दोस्तो, इस पोस्ट में मैने जो 7 points को बताया है ये सभी पॉइंट्स जरूरी है। मेरी आपसे बिनती रहेगी की आप इन बातो को ट्रेडिंग के समय जरूर उपयोग करे ताकि आपको ज्यादा नुकसान ना उठाना पड़ जाए।
Sumarry: ट्रेडिंग साइकोलॉजी में एक्सपर्ट कैसे बने?
ट्रेडिंग साइकोलॉजी में एक्सपर्ट कैसे बने? 7 टिप्स इन हिंदी इस पोस्ट में मैने वही पॉइंट्स को कवर किया है जो लाइव मार्केट में वर्क करते है। दोस्तो, ये पोस्ट आपको कैसे लगी ये कॉमेंट करना ना भूले। इस पोस्ट को जितना हो सके सोशल मीडिया पर शेयर करे, ताकि बाकी लोग भी इससे लाभान्वित हो सके।
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