शेयर मार्केट में किसी भी कंपनी के फंडामेंटल एनालिसिस कैसे चेक करें?
जब हम किसी स्टॉक में investment करते है, तो शेयर मार्केट में किसी भी कंपनी के फंडामेंटल एनालिसिस कैसे चेक करते है? ये समझना बहुत जरूरी हो जाता है। अगर हमे सफल इन्वेस्टर बनना है तो आपको फंडामेंटल एनालिसिस आनी ही चाहिए। किसी भी सही स्टॉक का चयन करने के लिए आपको इसमें एक्सपर्ट बनना पड़ेगा। इसलिए इस पोस्ट में हम फंडामेंटल एनालिसिस हिंदी में कैसे करते है, इस महत्वपूर्ण विषय के बारे में विस्तार से जानेंगे।
ये भी पढ़े:
छोटे option buyer ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसे कैसे कमा सकते है?
Mutual-fund-kya-hai-mutual-fund-ke-fayde-aur-nuksaan
शेयर मार्केट से पैसे कमाने के दो तरीके होते है, एक होता है ट्रेडिंग करके पैसा कमाना और दूसरा होता है इन्वेस्टिंग करके पैसा कमाना। ट्रेडिंग करने के लिए टेक्निकल एनालिसिस की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग के लिए टेक्निकल और फंडामेंटल दोनो तरह की एनालिसिस करनी पड़ती है।पहला तरीका शॉर्ट टर्म के लिए होता है तो वही पर दूसरा तरीका लॉन्ग टर्म के लिए होता है। आज हम इस पोस्ट में long term investing के लिए फंडामेंटल एनालिसिस करने के बारे में जानेंगे।
fandamental analysis kya hai?
जब हम अपने पैसे किसी दोस्त या किसी व्यक्ति को उधार या लोन के तौर पर देते है तो पैसे उन्हे देने से पहले अपने आप से कुछ सवाल जरूर पूछते होंगे। जो निम्न तरह के होंगे।
- क्या ये आदमी मुझे पैसे समय पर लौटाएगा।
- क्या ये आदमी पैसे ब्याज पर देने लायक है।
- क्या ये आदमी कही भाग तो नही जायेगा।
- उसपर मुसीबत आने पर मेरे पैसा चुकाने के लिए उसके पास पर्याप्त जमीन या जायदाद है या नही।
- कही ये आदमी पैसे देने से मुकर तो नही जायेगा।
- क्या इसे पैसे देना सही रहेगा या नही?
इस तरह के सवाल जो हम खुद से us व्यक्ति के बारे में पूछते है, तो इसे ही हम उस व्यक्ति की फंडामेंटल एनालिसिस कहते है।
फंडामेंटल एनालिसिस का सीधा सा मतलब है की उस कंपनी के बारे में सारी imformation निकलना। जैसे की.. कंपनी क्या कर रही है, कंपनी के ऊपर कितना कर्जा या उधारी है कंपनी प्रॉफिट कर रही है या लॉस प्रमोटर होल्डिंग आदि बहुत सारी बाते हो सकती है जिसे निवेशक को पैसे लगाने से पहले जान लेना चाहिए। जब कोई भी व्यक्ति फंडामेंटल एनालिसिस में एक्सपर्ट बन जाता है तो उसे करोड़पति बनने से कोई भी नही रोक पायेगा। long term investment में जो बाते work करती है, उसे आप फंडामेंटल एनालिसिस कह सकते है।
कई ऐसे भी निवेशक होते है, जो बिना कुछ एनालिसिस किए ही किसी भी स्टॉक में इन्वेस्ट कर डालते है, जिन्हे बाद में पछताना पड़ता है। जब हम सब्जी बाजार में सब्जियां खरीदने जाते है तो हम चार जगह घूमने के बाद किसी एक जहा से सब्जियां खरीदने है। हम ऐसा इसलिए करते है, ताकि हमे सब्जियां सस्ती मिलनी चाहिए, ताजी सब्जियां मिलनी चाहिए, सब्जियां रोगमुक्त होनी चाहिए। इसी तरह हम स्टॉक को खरीदते समय जानते है, तो इसे फंडामेंटल एनालिसिस करना कहते है। ये वह तकनीक है जो हमे long term investment में भरोसा दिलाती है। आप shore हो जाते है की इस स्टॉक में इन्वेस्ट करके हम तगड़ा प्रॉफिट ही कमाएंगे।
दोस्तों, जब हम किसी भी कंपनी को किसी भी बिजनेस को समझना चाहते हैं, तो हमें फंडामेंटल एनालिसिस करनी पड़ती है। अगर कोई निवेशक लंबे समय के लिए स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहता है तो उसे फंडामेंटल एनालिसिस करने की जरूरत पड़ती है, क्यो की उसे लॉन्ग टर्म में अच्छा खासा प्रॉफिट हो पाए। हम जिस कंपनी के शेयर को निवेश के रूप में खरीदना चाहते है, उस कंपनी के बारे में हमे सारी detail जाननी चाहिए।
इसी तरह investing के लिए शेयर का चयन करने के लिए उसका बैलेंस शीट, शेयर्स का फाइनेंशियल स्टेटमेंट चेक करना, कंपनी का प्रॉफिट मार्जिन देखना, उस सेक्टर में कंपनी का मार्केट शेयर कितना है, एनुअल रिपोर्ट, प्रमोटर होल्डिंग, PE RETIO, कंपनी की भविष्य की योजनाएं इत्यादि बातो को विश्लेषित किया जाता है।
आप राकेश झुनझुनवाला को तो जानते ही होंगे, जो इंडिया के वॉरेन बफेट कहे जाते है। वह इसी फंडामेंटल एनालिसिस के मास्टर थे, जिन्होने इसके बलबूते पर करोड़ों रुपए की संपत्ति अर्जित की थी।
जो कंपनिया फंडामेंटल तौर पर मजबूत होती है, उस कंपनी के शेयर को अगर कोई निवेशक निवेश करता है तो उसे तगड़ा रिटर्न मिलने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन बिना इस एनालिसिस के किसी स्टॉक को इन्वेस्टिंग के लिए खरीद लिया तो आपको नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है।
फंडामेंटल एनालिसिस क्यों करना चाहिए?
NSE और BSE में लिस्टेड कई सारी कंपनी में से कुछ ऐसी भी कंपनी होती है, जो किसी ना किसी प्रॉब्लम से गुजर रही होती है। अगर हम रेंडम तरीके से किसी भी शेयर को खरीद लेते है तो हमको प्रॉफिट की जगह लॉस उठाना पड़ सकता है। इस तरह की गलतियों से बचने के लिए फंडामेंटल एनालिसिस करना आवश्यक हो जाता है। कंपनियों से जुड़ी कुछ समस्याएं होती है, जो इस प्रकार होती है।
- कही वह कंपनी बड़े कर्जे से तो नहीं गुजर रही है।
- जिस कंपनी के शेयर हम खरीदना चाह रहे है वह कंपनी लॉस में तो नहीं चल रही।
- कंपनी का मैनेजमेंट सिस्टम कही गलत तो नहीं है।
- अपने सेक्टर में उस कंपनी की क्या स्थिति है।
- कही कंपनी बुरे हालात से तो नहीं गुजर रहे
- कंपनी के प्रमोटर की होल्डिंग हद से ज्यादा कम तो नही? कही हम फंडामेंटली खराब कंपनी में निवेश तो नही कर रहे?
ये सारी बाते आपके होनेवाले लॉस को बचाने का काम करती है। इसलिए फंडामेंटल एनालिसिस करना जरूरी हो जाता है।
सबसे जरूरी और बताने लायक बात ये है की कई लोग सिर्फ किसी की कही सुनी के आधार पर ही किसी स्टॉक में इन्वेस्ट कर डालते है। लोग खुद की एनालिसिस ही करना नही चाहते। कही अगर किसी youtuber ने कह दिया की किसी x नाम के शेयर में आज 1 लाख डाल दो और पाच साल में आप करोड़पति बन जाओगे। इस तरह की कई बाते आपको यूट्यूब या सोशल मीडिया पर देखने और सुनने को मिलती है। ये भी कई बार गलत नही होती लेकिन इसमें आपको प्रॉफिट की कोई गारंटी नहीं हो सकती लेकिन आप खुद की एनालिसिस करेंगे, तो आपको किसी से पूछने की जरूरत नही रहेगी। मैं यहां सभी को गलत नहीं बता रहा हूं, लेकिन ज्यादातर देखा जाए तो औरों की टिप्स से बेहतर अपनी एनालिसिस होती है, क्यू की ये आपके पैसों का मामला है।
क्या मैं फंडामेंटल एनालिस्ट बन सकता हूं?
दोस्तो, इस बात को लेकर लोगों में एक बहुत ही गलत फहमी है की इसे सिर्फ चार्टर्ड अकाउंटेंट या कॉमर्स के बैकग्राउंड वाले लोग ही अच्छा एनालिसिस कर पाते है। लेकिन दरअसल ऐसा कुछ भी नही है। ये सवाल भले ही आपको तकनीकी तौर पर कठिन लगता होगा, यदि अगर इन चीजों को समझ लिया जाए, तो ये बिलकुल आसान हो जाता है। मैं तो कहता हूं की इसे समझने के बाद कोई 12 से 14 साल का बच्चा भी इसे कर सकता है, तो आप क्यो नही कर सकते। लेकिन इससे पहले शेयर मार्केट क्या है और कैसे सीखे हिन्दी में, इसे भी समझना आवश्यक है। फैंडामेंटल एनालिसिस किस तरह किया जाता है, ये सारा प्रोसेस मैं इसी पोस्ट में बताने वाला हूं। इसलिए इस पोस्ट को ध्यान से जरूर पढ़े।
आप किसी भी स्टॉक का विश्लेषण बड़ी आसानी से दो तीन मिनट में कर सकते है। आपको वह सारा प्रोसेस मैं बता दूंगा, जो की बिलकुल आसान है। इसके लिए सिर्फ आपको कुछ जरूरी चीज समझनी पड़ेगी। हो सकता है की ये चीजे आपको एक बार में समझ में ना आए। लेकिन अगर इसमें इंट्रेस बढ़ाएंगे, तो आसानी से आप भी इसमें मास्टर बन सकते है। फ्रेंड्स,आपको इसमें महारत हासिल करने के लिए कुछ जरूरी पॉइंट्स पर फोकस करना होगा।
- कंपनी का वार्षिक रिपोर्ट चैक करना।
- कंपनी का बैलेंस शीट चैक करना।
- कंपनी का प्रमोटर होल्डिंग देखना।
- PE RETIO देखना।
- CAGR % की जानकारी लेना।
- कंपनी स्मॉल कैप मिडकैप लार्ज कैप की कैटेगरी में आती है ये देखना।
- प्रोटर होल्डिंग देखना।
अच्छे शेयर को कैसे पहचाने?
जो शेअर्स आपको अच्छा रिटर्न दे ऐसे स्टॉक को पहचानने के लिए आप को उस कंपनी से जुड़ी सारी जानकारियां हासिल करनी होगी, आमतौर पर जो कंपनी अपने इन्वेस्टर्स को क्वार्टरली या एनुअली डिविडेंड देती रहती है, वह कंपनी इन्वेस्टिंग के लिए अच्छी मानी जाती है, साथ ही उसका CAGR परसेंटेज 15 या उससे जितना ज्यादा होगा उतना अच्छा माना जाता है। अगर इस कंपनी का प्रमोटर अपनी होल्डिंग बढाता है तो ये इन्वेस्टिंग के लिए बढ़िया संकेत हो सकता है। इसके विपरित प्रमोटर अपनी होल्डिंग कम करता है, तो आपको ऐसी कंपनी में निवेश नही करना चाहिए। इसके अलावा अगर FII और DII किसी शेयर में अपनी होल्डिंग बढ़ा रहे हैं, तो ऐसी कंपनी में जरूर इन्वेस्ट करना चाहिए, लेकिन होल्डिंग घटा रहे है तो ऐसी कंपनी में निवेश ना करे तो अच्छा रहता है। वैसे देखा जाए तो हजारों स्टॉक्स में से अच्छे शेयर की पहचान करने के लिए और भी कुछ बातो को देखा जाता है। जिसकी हम आगे चर्चा करेंगे।
फंडामेंटल में क्या क्या आता है? फंडामेंटल एनालिसिस कैसे करते है
जब फंडामेंटल की बात आती है तो हमे एक एक करके कई बातो को देखना होता है। ये सारी बाते पॉजिटिव रहती है तो यह आपकी इन्वेस्टमेंट को अच्छा रिटर्न देने का भरोसा दिलाती है।
pe retio
pe retio का मतलब होता है price to earning retio, मतलब आप जिस कीमत पर शेयर खरीद रहे है, उसके बदले वह कंपनी कितना कमा रही है। शेयर बाजार जानकारों के अनुसार अगर किसी शेयर का pe retio 20 से कम है, तो वह शेयर खरीदने के लिए अच्छा कहा जाता है।
यहां आपको ये भी देखना चाहिए की उस कंपनी के सेक्टर का pe retio कितना है। अगर सेक्टर के pe retio से उस शेयर का pe retio कम है, तो वह कंपनी बेहतर है ऐसा कहा जा सकता है। उस शेयर को खरीदना ठीक रहता है। इसलिए उस शेयर की तुलना उस सेक्टर के pe retio से करनी चाहिए।
कैश फ्लो स्टेटमेंट (cash flow statement ) :
यह कंपनी का सबसे महत्वपूर्ण स्टेटमेंट होता है। कैश फ्लो स्टेटमेंट से हमे पता चलता है की कंपनी कितनी मात्रा में नगदी कारोबार कर रही है। या फिर कंपनी कितनी मात्रा में लोन या उधारी पर कैश फ्लो जूटा रही है। जिस कंपनी के पास जितना ज्यादा कैश फ्लो नगदी में रहता है वह कंपनी उतनी ही ज्यादा बेहतर होती है।
प्रमोटर होल्डिंग :
जैसा कि मैंने इस पोस्ट में पहले भी बताया है, अपनी कंपनी में प्रमोटर होल्डिंग जितनी ज्यादा परसेंटेज में होगी, उतनी ही कंपनी ज्यादा ग्रोथ करती है। ये एक बहुत बड़ा संकेत होता है की कंपनी भविष्य में कुछ अच्छा करने वाली है या उसका शेयर मल्टीबैगर भी हो सकता है। इसके साथ साथ ही FII, DII की होल्डिंग भी महत्वपूर्ण roll निभाती है।
अपनी कंपनी आने वाले समय में कितना बेहतर या खराब प्रदर्शन कर सकती है ये कंपनी के प्रमोटर से बेहतर कोई नहीं समझ सकता। उसे सबसे पहले पता चल जाता है की कंपनी के शेयर में उछाल आ सकता है या नही। इस तरह से वह प्रमोटर अपनी कंपनी में अपनी होल्डिंग को बढ़ाता या घटाता रहता है। ये एक तरह का मजबूत संकेत होता है की कंपनी आनेवाले समय में क्या कर सकती है।
P&L statement :
इसे प्रॉफिट लॉस स्टेटमेंट भी कहते है। कंपनी ने एक निश्चित समय में कितना प्रॉफिट या लॉस किया है, ये सब इस स्टेटमेंट से समझता है। इस स्टेटमेंट में निम्न प्रकार के विवरण की जानकारी मिलती है।
- उस कंपनी की सालाना या तिमाही प्रॉफिट या लॉस की जानकारी।
- टैक्स और बाकी के खर्चे।
- प्रति शेयर आमदनी उस आय पर कंपनी का खर्चा।
बिजनेस मॉडल :
बिजनेस मॉडल को कंपनी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा समझना चाहिए। इसमें हम कंपनी के बारे में कई तरह की जानकारी पा सकते हैं, जैसे..
- कंपनी किस तरह का काम करती है।
- कंपनी अपना प्रोडक्ट बनाने में किस चीजों का अधिक उपयोग करती है।
- कंपनी का रेवेन्यू किस तरह की चीजों से आता है।
- कंपनी किस तरह से पैसे कमाती है।
- कंपनी के खर्चे कितने हैं और मार्जिन कितना है।
- कंपनी अपना विस्तार करने के लिए क्या कर रही है।
ये सारी चीजे बिजनेस मॉडल में आती है, जिससे हमे लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट करने के लिए सही दिशा मिलती है।बाजार के जानकार लोगों के अनुसार हमे जब तक कंपनी का बिजनेस मॉडल समझ में नहीं आया तब तक शेयर नही खरीदना चाहिए। कंपनी के बिजनेस के बारे में आपको कुछ जानकारी नहीं है, फिर भी आपने किसी की कही सुनी में आकर आपने शेयर्स को खरीद भी लिया है तो आप शेयर के चढ़ाव उतार को सहन नही कर पाएंगे और सही स्टॉक में भी आप लॉस बुक करके निकल जाओगे। इसको समझ जाने के बाद आपको शेयर की कीमतों में आने वाले उतार चढ़ाव से दर नही लगेगा।
debt to equity retio (डेट टू इक्विटी रेश्यो) :
ये अनुपात कंपनी के लोन को दर्शाता है, मतलब ये अनुपात जितना काम रहता है, कंपनी उतनी ही बेहतर होती है। हर कंपनी के ऊपर किसी ना किसी तरह का लोन या देनदारी रहती है। कई कंपनियों पर had से भी ज्यादा लोन या उधारी हो जाती है जिससे वह कंपनिया दिवालिया हो जाती है। जिस कंपनी के ऊपर इसके कैपिटल के हिसाब ज्यादा लोन है इस पर अपना मेहनत का पैसा लगाकर हम बहुत बड़ी गलती कर सकते है। इसलिए हमे डेट टू इक्विटी रेश्यो देख कर इन्वेस्टमेंट करनी चाहिए।
डेट टू इक्विटी रेश्यो =देनदारिया/ इक्विटी
कंपनी से जुड़े समाचार :
फ्रेंड्स, आपको तो पता ही होगा की आए दिन किसी ना किसी कंपनियों के बारे में कुछ ना कुछ अच्छी बुरी खबर आती ही रहती है। अगर कंपनी से जुड़ी खबर अच्छी रहती है तो इसका असर कंपनी के शेयर के प्राइस पर जरूर पड़ता है। अच्छी खबर आते ही शेयर में उछाल आ जाता है और बुरी खबर आने पर शेयर का भाव गिर भी जाता है। इसलिए जो लोग शेयर बाजार में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट करते है, वह शेयर बाजार से जुड़े समाचारों पर कड़ी नजर रखते है। ताकि समय के साथ सही फैसला लिया जा सके। लेकिन खबरों में कुछ खबरे worldwide भी होती है, जो ज्यादातर देशों के शेयर बाजारों को प्रभावित करते है। जैसे जागतिक मंदी, कुछ देशों की बीच युद्ध की स्थिति, कोविड जैसी महामारी, भूकंप या सुनामी जैसी गंभीर स्थिति, ऐसी घटनाओं से पूरा शेयर मार्केट विचलित हो जाता है। आपको इनपर भी नजर बनाई रखनी चाहिए। जिससे आप ज्यादा मुनाफा या कम लॉस कर सके।
stock fandamental analysis in hindi कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
आपने इस पोस्ट में जो पढ़ा है, उसमे कुछ खास बाते है जिसपर गौर करना चाहिए, जो निम्नप्रकार है।
- शेयर खरीदने के लिए फंडामेंटल एनालिसिस लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए की जाती है।
- इससे आपको कौन सा शेयर खरीदने लायक है यह पता चल जाता है।
- अगर आप फंडामेंटल एनालिसिस बनना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कोई खास तकनीक या कौशल की जरूरत नहीं है, आपको बस कुछ कॉमन सेंस या व्यावहारिक बुद्धि की जरूरत पड़ती है, जो हर किसी के पास होती है। आपको फंडामेंटल कैसे चेक किया जाता है इसको कुछ बेसिक जानकारी होनी चाहिए।
- अच्छे फंडामेंटल वाली कंपनी में निवेश करने से आपकी संपत्ति में अच्छी बढ़ोतरी होती है।
- अच्छी तरह फंडामेंटल एनालिसिस के जरिए आप निवेश करने योग्य अच्छी कंपनी और खराब कंपनी में बीच का अंतर महसूस कर सकते है।
- निवेश करने योग्य सभी कंपनियों में एक जैसे गुण होते है, वही पर निवेश करने के लिए अयोग्य कंपनियों में एक जैसे दुर्गुण होते है।
- किसी भी स्टॉक का फंडामेंटल चेक करना बहुत आसान होता है, और उसे मुक्त में ऑनलाइन चेक किया जा सकता है।
- एक अच्छा फंडामेंटल एनालिस्ट बनने के लिए किसी कॉलिफिकेशन की जरूरत नहीं होती।
- investing के लिए सही स्टॉक का चुनाव करने के लिए फंडामेंटल एनालिसिस और टेक्निकल एनालिसिस दोनो की जरूरत पड़ती है।
- किसी भी शेयरको खरीदे के लिए जल्दबाजी न करे। पहले चुनिंदा स्टॉक्स का फंडामेंटल एनालिसिस करे, फिर उसमे अपनी investment करे।
conclution : fandamental analysis of stock in hindi
दोस्तो, आपने "शेयर मार्केट में किसी भी कंपनी के फंडामेंटल एनालिसिस कैसे चेक करें?” इस पोस्ट में फंडामेंटल एनालिसिस कैसे किया जाता है? इन्वेस्टमेंट के लिए स्टॉक को कैसे एनालिसिस करे? फंडामेंटल में क्या क्या करना पड़ता है इस बारे में detail में हिंदी में जानकारी ली। आपको ये पोस्ट कैसे लगी? ये कॉमेंट करके जरूर बताएं। अगर इस आर्टिकल से जुड़े कोई सवाल शिकायत है तो comment करे। इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करे। Thank you for reading this post.
एक टिप्पणी भेजें
0टिप्पणियाँ